सत्यवान के संग में जो तू ब्याह रचावेगी

सत्यवान के संग में जो तू ब्याह रचावेगी

सत्यवान के संग में,
जो तू ब्याह रचावेगी,
अरे ओ बेटी री तू,
सुख ना पावेगी।

वन वन में भटकत डोले,
कहा तू रहेगी,
मौसम की मार,
बेटी कैसे सहेगी,
एक बरस की उम्र है,
बाकी तू पछतावेगी,
अरे ओ बेटी री,
तू सुख ना पावेगी।

सास ससुर है अंधे कैसे रहेगी,
खाने को दाने दाने तू तरसेगी,
अरे राज पाठ को छोड़ के,
बेटी लाज ना आवेगी,
अरे ओ बेटी री,
तू सुख ना पावेगी।

एक से एक राजा,
तेरे पुजारी,
ब्याह करण का मन,
सबका है भारी,
अरे जंगल जंगल,
भटकत डोले,
दुख तू पावेगी,
अरे ओ बेटी री,
तू सुख ना पावेगी।
 


सत्यवान सावित्री भजन : सत्यवान के संग में जो तू ब्याह रचावेगी #satisavitribhajan #savitribhajan

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