मेरा मन सत्संग में लागा
मेरा मन सत्संग में लागा,
मत मेरी हंसी उड़ाओ सखी,
मेरा मन सत्संग में लागा,
मत मेरी हंसी उड़ाओ सखी।
सत्संग में ब्रह्मा जी आए,
संग में ब्रह्माणी आए गई,
मुझे ऐसा ज्ञान सुनाया,
मेरा तन मन बोले हरि हरि।
सत्संग में विष्णु आये,
संग में लक्ष्मी जी आए गई,
उनने ऐसा धन बरसाया,
भंडारे मेरे भरे सखी।
सत्संग में भोले आये,
संग में गोरा जी आए गई,
उसने ऐसा डमरू बजाया,
मैं नाचन लागी खड़ी खड़ी।
सत्संग में राम जी आए,
संग में सीता जी आए गई,
मर्यादा हमें सिखाई,
मेरी अखियां,
खुल गई खड़ी खड़ी।
सत्संग में कान्हा जी आए,
संग में राधा जी आए गई,
मुझे ऐसा प्रेम सिखाया,
मेरा तन मन बोले हरि हरि।
सत्संग और भजन दो ऐसे शब्द हैं जो अक्सर हिंदू धर्म के संदर्भ में उपयोग किए जाते हैं। सत्संग का अर्थ है संतों या महान व्यक्तियों के साथ संगति करना, जबकि भजन का अर्थ है भगवान की स्तुति करना।
सत्संग और भजन का जीवन में बहुत महत्व है। सत्संग से हम अच्छे विचारों और आदर्शों को सीख सकते हैं। यह हमें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद कर सकता है। भजन से हम भगवान से जुड़ सकते हैं और उनके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यह हमें शांति और आनंद का अनुभव करने में मदद कर सकता है।
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