नैना देवी जी की आरती भजन

नैना देवी जी की आरती भजन

आजा, मेरी नैना माई ए।
तुझपै तन मन धन सब वारूं,
आजा, मेरी नैना माई ए।

सुन्दर भवन बनाया तेरा,
तेरी शोभा न्यारी |
नीके नीके खम्भे लागे,
अद्-भुत चित्तर कारी
तेरा रंग बिरंगा द्वारा ||
आजा, मेरी नैना माई ए।

झाँझा और मिरदंगा बाजे,
और बाजे शहनाई |
तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे,
तबला शब्त सुनाई |
तेरे द्वारे नौबत बाजे ||
आजा, मेरी नैना माई ए।

पीला चोला जरद किनारी,
लाल ध्वजा फहराये |
सिर लालों दा मुकुट विराजे,
निगाह नहिं ठहराये |
तेरा रूप न वरना जाए ||
आजा, मेरी नैना माई ए।

पान सुपारी ध्वजा,
नारियल भेंट तिहारी लागे |
बालक बूढ़े नर नारी की,
भीड़ खड़ी तेरे आगे |
तेरी जय जयकार मनावे ||
आजा, मेरी नैना माई ए।

कोई गाए कोई बजाए,
कोई ध्यान लगाये |
कोई बैठा तेरे आंगन में,
नाम की टेर सुनाये |
कोई नृत्य करे तेरे आगे ||
आजा, मेरी नैना माई ए।

कोई मांगे बेटा बेटी,
किसी को कंचन माया |
कोई माँगे जीवन साथी,
कोई सुन्दर काया |
भक्तों किरपा तेरी मांगे ||
आजा, मेरी नैना माई ए। 
 

Naina Devi Maa Aarti | नैना देवी माँ आरती | Latest Naina Devi Aarti 2022 | नवरात्रि स्पेशल | #Bhakti

माता नैना देवी जी, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध माता रानी का स्थल है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ माता सती के नेत्र गिरे थे, और यह भक्तों का अत्यंत ही पावन तीर्थ भी है। यहाँ माता नैना देवी के मंदिर में भक्तों की सभी मुरादें पूर्ण होती हैं.

माता सती के पिता दक्ष प्रजापति ने यज्ञ में भगवान शिव को यग्य में आमंत्रित नहीं किया था। सती अपने पति का अपमान सहन नहीं कर सकीं और यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। शिव क्रोधित होकर यज्ञ स्थल पर पहुंचे और सती को लेकर कैलाश पर्वत की ओर चल पड़े। मार्ग में सती के शरीर के अंग पृथ्वी पर गिरते गए। जहाँ सती के नेत्र गिरे, वहाँ नैना देवी मंदिर बना हुआ है .

नैना माई, तुम्हारी शरण में सब कुछ अर्पण है—तन, मन, धन। भक्त का हृदय तुम्हारे लिए सुंदर मंदिर सजाता है, जिसके खंभे श्रद्धा के हैं और दीवारें प्रेम से रंगी हैं। जैसे कोई बच्चा अपनी माँ के लिए फूलों का गुलदस्ता सजाता है, वैसे ही तुम्हारा भवन भक्ति की अनुपम कारीगरी से चमकता है।

तुम्हारे द्वार पर शहनाई की मधुर धुन और नौबत की गूंज हृदय को आनंद देती है। यह उत्सव केवल बाहर का नहीं, बल्कि आत्मा का उत्साह है, जो तुम्हारी भक्ति में डूबकर नाच उठता है। एक संत की तरह मन कहता है—सच्ची भक्ति वही, जो तुम्हारे नाम की माला जपे और हृदय को तुम्हारे रंग में रंग दे।

तुम्हारा रूप लाल मुकुट और पीले चोले में सजा, ऐसा अलौकिक कि नजरें ठहर न पाएं। जैसे सूरज की किरणें सागर पर चमकती हैं, वही तेज तुममें बसता है। एक चिंतक की तरह विचार आता है—तुम केवल मूर्ति नहीं, हर भक्त के हृदय में बसी अनंत कृपा हो।

भक्त तुम्हारे सामने पान, सुपारी, नारियल चढ़ाते हैं, पर तुम्हें तो केवल उनका प्रेम चाहिए। कोई बेटा माँगता है, कोई धन, कोई जीवनसाथी—सब तुम्हारी शरण में आशा लिए खड़े हैं। एक धर्मगुरु की तरह मन कहता है—माँ की कृपा बिना माँगने से मिलती है; बस, मन को शुद्ध रखो और सेवा में डूब जाओ।

तुम्हारे आंगन में कोई गाता, कोई नाचता, कोई ध्यान लगाता है। यह भक्ति का मेला है, जहाँ हर कोई तुम्हारी जय-जयकार में खोया है। हे माई, तुम्हारी शरण में आकर ही मन को ठंडक मिलती है। बस, अपने दर्शन दे दो, यही प्रार्थना है।

Album : Aarti Naina Devi Maa
Singer : Anjali Jain
Music : kishor malhotra
Lyrics : Traditional

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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