शनि देव के 108 नाम शनि देव नामावली Shani Dev 108 Names in Hindi
शनि देव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें न्याय और कर्म के देवता के रूप में जाना जाता है। वे ज्योतिष में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। शनि देव की उत्पत्ति के कई पौराणिक कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार, शनि देव का जन्म ऋषि कश्यप और देवी अदिति के पुत्र के रूप में हुआ था। एक अन्य कथा के अनुसार, शनि देव का जन्म भगवान शिव से हुआ था।
शनि देव को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें शनि, शनिदेव, शनिश्चर, और शनि महाराज शामिल हैं। उन्हें आमतौर पर चार भुजाओं वाले, पीले रंग के और गिद्ध पर सवार दिखाया जाता है। उनके हाथों में धनुष, बाण, दण्ड, और शंख होता है। शनि देव को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। वे अच्छे और बुरे दोनों के कर्मों का न्याय करते हैं। वे पापियों को दण्डित करते हैं और पुण्यात्माओं को पुरस्कृत करते हैं।
शनि देव को कर्म के देवता के रूप में भी जाना जाता है। वे प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों का हिसाब रखते हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। ज्योतिष में, शनि देव को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। उन्हें कालपुरुष के षष्ठ भाव का स्वामी माना जाता है। शनि देव की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है।
शनि देव के भक्तों का मानना है कि उनकी पूजा से उन्हें न्याय, कर्म, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वे शनि देव की पूजा करने के लिए कई प्रकार के मंत्र और प्रार्थनाएँ करते हैं। शनि देव हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण देवता हैं। वे न्याय, कर्म, और ज्योतिष के प्रतीक हैं।
शनि देव को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें शनि, शनिदेव, शनिश्चर, और शनि महाराज शामिल हैं। उन्हें आमतौर पर चार भुजाओं वाले, पीले रंग के और गिद्ध पर सवार दिखाया जाता है। उनके हाथों में धनुष, बाण, दण्ड, और शंख होता है। शनि देव को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। वे अच्छे और बुरे दोनों के कर्मों का न्याय करते हैं। वे पापियों को दण्डित करते हैं और पुण्यात्माओं को पुरस्कृत करते हैं।
शनि देव को कर्म के देवता के रूप में भी जाना जाता है। वे प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों का हिसाब रखते हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। ज्योतिष में, शनि देव को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। उन्हें कालपुरुष के षष्ठ भाव का स्वामी माना जाता है। शनि देव की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है।
शनि देव के भक्तों का मानना है कि उनकी पूजा से उन्हें न्याय, कर्म, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वे शनि देव की पूजा करने के लिए कई प्रकार के मंत्र और प्रार्थनाएँ करते हैं। शनि देव हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण देवता हैं। वे न्याय, कर्म, और ज्योतिष के प्रतीक हैं।
- शनैश्चर- धीरे- धीरे चलने वाला
- शान्त- शांत रहने वाला
- सर्वाभीष्टप्रदायिन्- सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला
- शरण्य- रक्षा करने वाला
- वरेण्य- सबसे उत्कृष्ट
- सर्वेश- सारे जगत के देवता
- सौम्य- नरम स्वभाव वाले
- सुरवन्द्य- सबसे पूजनीय
- सुरलोकविहारिण् - सुरह्स की दुनिया में भटकने वाले
- सुखासनोपविष्ट - घात लगा के बैठने वाले
- सुन्दर- बहुत ही सुंदर
- घन – बहुत मजबूत
- घनरूप - कठोर रूप वाले
- घनाभरणधारिण् - लोहे के आभूषण पहनने वाले
- घनसारविलेप - कपूर के साथ अभिषेक करने वाले
- खद्योत – आकाश की रोशनी
- मन्द – धीमी गति वाले
- मन्दचेष्ट – धीरे से घूमने वाले
- महनीयगुणात्मन् - शानदार गुणों वाला
- मर्त्यपावनपद – जिनके चरण पूजनीय हो
- महेश – देवो के देव
- छायापुत्र – छाया का बेटा
- शर्व – पीड़ा देना वेला
- शततूणीरधारिण् - सौ तीरों को धारण करने वाले
- चरस्थिरस्वभाव - बराबर या व्यवस्थित रूप से चलने वाले
- अचञ्चल – कभी ना हिलने वाले
- नीलवर्ण – नीले रंग वाले
- नित्य - अनन्त एक काल तक रहने वाले
- नीलाञ्जननिभ – नीला रोगन में दिखने वाले
- नीलाम्बरविभूशण – नीले परिधान में सजने वाले
- निश्चल – अटल रहने वाले
- वेद्य – सब कुछ जानने वाले
- विधिरूप - पवित्र उपदेशों देने वाले
- विरोधाधारभूमी - जमीन की बाधाओं का समर्थन करने वाला
- भेदास्पदस्वभाव - प्रकृति का पृथक्करण करने वाला
- वज्रदेह – वज्र के शरीर वाला
- वैराग्यद – वैराग्य के दाता
- वीर – अधिक शक्तिशाली
- वीतरोगभय – डर और रोगों से मुक्त रहने वाले
- विपत्परम्परेश - दुर्भाग्य के देवता
- विश्ववन्द्य – सबके द्वारा पूजे जाने वाले
- गृध्नवाह – गिद्ध की सवारी करने वाले
- गूढ – छुपा हुआ
- कूर्माङ्ग – कछुए जैसे शरीर वाले
- कुरूपिण् - असाधारण रूप वाले
- कुत्सित - तुच्छ रूप वाले
- गुणाढ्य – भरपूर गुणों वाला
- गोचर - हर क्षेत्र पर नजर रखने वाले
- अविद्यामूलनाश – अनदेखा करने वालो का नाश करने वाला
- विद्याविद्यास्वरूपिण् - ज्ञान करने वाला और अनदेखा करने वाला
- आयुष्यकारण – लम्बा जीवन देने वाला
- आपदुद्धर्त्र - दुर्भाग्य को दूर करने वाले
- विष्णुभक्त – विष्णु के भक्त
- वशिन् - स्व-नियंत्रित करने वाले
- विविधागमवेदिन् - कई शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले
- विधिस्तुत्य – पवित्र मन से पूजा जाने वाला
- वन्द्य – पूजनीय
- विरूपाक्ष – कई नेत्रों वाला
- वरिष्ठ - उत्कृष्ट
- गरिष्ठ - आदरणीय देव
- वज्राङ्कुशधर – वज्र-अंकुश रखने वाले
- वरदाभयहस्त – भय को दूर भगाने वाले
- वामन – (बौना ) छोटे कद वाला
- ज्येष्ठापत्नीसमेत - जिसकी पत्नी ज्येष्ठ हो
- श्रेष्ठ – सबसे उच्च
- मितभाषिण् - कम बोलने वाले
- कष्टौघनाशकर्त्र – कष्टों को दूर करने वाले
- पुष्टिद - सौभाग्य के दाता
- स्तुत्य – स्तुति करने योग्य
- स्तोत्रगम्य - स्तुति के भजन के माध्यम से लाभ देने वाले
- भक्तिवश्य - भक्ति द्वारा वश में आने वाला
- भानु - तेजस्वी
- भानुपुत्र – भानु के पुत्र
- भव्य – आकर्षक
- पावन – पवित्र
- धनुर्मण्डलसंस्था - धनुमंडल में रहने वाले
- धनदा - धन के दाता
- धनुष्मत् - विशेष आकार वाले
- तनुप्रकाशदेह – तन को प्रकाश देने वाले
- तामस – ताम गुण वाले
- अशेषजनवन्द्य – सभी सजीव द्वारा पूजनीय
- विशेषफलदायिन् - विशेष फल देने वाले
- वशीकृतजनेश – सभी मनुष्यों के देवता
- पशूनां पति - जानवरों के देवता
- खेचर – आसमान में घूमने वाले
- घननीलाम्बर – गाढ़ा नीला वस्त्र पहनने वाले
- काठिन्यमानस – निष्ठुर स्वभाव वाले
- आर्यगणस्तुत्य – आर्य द्वारा पूजे जाने वाले
- नीलच्छत्र – नीली छतरी वाले
- नित्य – लगातार
- निर्गुण – बिना गुण वाले
- गुणात्मन् - गुणों से युक्त
- निन्द्य – निंदा करने वाले
- वन्दनीय – वन्दना करने योग्य
- धीर - दृढ़निश्चयी
- दिव्यदेह – दिव्य शरीर वाले
- दीनार्तिहरण – संकट दूर करने वाले
- दैन्यनाशकराय – दुख का नाश करने वाला
- आर्यजनगण्य – आर्य के लोग
- क्रूर – कठोर स्वभाव वाले
- क्रूरचेष्ट – कठोरता से दंड देने वाले
- कामक्रोधकर – काम और क्रोध का दाता
- कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण - पत्नी और बेटे की दुश्मनी
- परिपोषितभक्त – भक्तों द्वारा पोषित
- परभीतिहर – डर को दूर करने वाले
- भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद – भक्तों के मन की इच्छा पूरी करने वाले
- निरामय – रोग से दूर रहने वाला
- शनि - शांत रहने वाला
शनि देव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें न्याय और कर्म के देवता के रूप में जाना जाता है। वे ज्योतिष में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
शनि पूजा का महत्त्व निम्नलिखित है:
शनि देव को न्याय के देवता के रूप में माना जाता है। वे अच्छे और बुरे दोनों के कर्मों का न्याय करते हैं। वे पापियों को दण्डित करते हैं और पुण्यात्माओं को पुरस्कृत करते हैं। शनि पूजा करने से व्यक्ति को न्याय की प्राप्ति होती है।
शनि देव को कर्म के देवता के रूप में भी जाना जाता है। वे प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों का हिसाब रखते हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि पूजा करने से व्यक्ति को कर्मों के फल की प्राप्ति होती है।
शनि देव ज्योतिष में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्हें कालपुरुष के षष्ठ भाव का स्वामी माना जाता है। शनि देव की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। शनि पूजा करने से व्यक्ति को शनि के अशुभ प्रभावों से बचाव मिलता है।
शनि पूजा करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
शनि पूजा शनिवार के दिन की जाती है। शनि मंदिर में शनि देव की प्रतिमा के सामने पूजा की जाती है। पूजा के दौरान शनि देव को तेल, काला तिल, सरसों के तेल का दीपक, और काला उड़द चढ़ाया जाता है। शनि मंत्रों का जाप किया जाता है।
शनि पूजा करने के कुछ नियम निम्नलिखित हैं:
शनि पूजा का महत्त्व निम्नलिखित है:
शनि देव को न्याय के देवता के रूप में माना जाता है। वे अच्छे और बुरे दोनों के कर्मों का न्याय करते हैं। वे पापियों को दण्डित करते हैं और पुण्यात्माओं को पुरस्कृत करते हैं। शनि पूजा करने से व्यक्ति को न्याय की प्राप्ति होती है।
शनि देव को कर्म के देवता के रूप में भी जाना जाता है। वे प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों का हिसाब रखते हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि पूजा करने से व्यक्ति को कर्मों के फल की प्राप्ति होती है।
शनि देव ज्योतिष में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्हें कालपुरुष के षष्ठ भाव का स्वामी माना जाता है। शनि देव की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। शनि पूजा करने से व्यक्ति को शनि के अशुभ प्रभावों से बचाव मिलता है।
शनि पूजा करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- न्याय की प्राप्ति
- कर्मों के फल की प्राप्ति
- शनि के अशुभ प्रभावों से बचाव
- सुख, समृद्धि, और सफलता
शनि पूजा शनिवार के दिन की जाती है। शनि मंदिर में शनि देव की प्रतिमा के सामने पूजा की जाती है। पूजा के दौरान शनि देव को तेल, काला तिल, सरसों के तेल का दीपक, और काला उड़द चढ़ाया जाता है। शनि मंत्रों का जाप किया जाता है।
शनि पूजा करने के कुछ नियम निम्नलिखित हैं:
- शनिवार के दिन स्नान करके साफ कपड़े पहनकर पूजा करें।
- पूजा स्थल को साफ और सुंदर रखें।
- शनि देव की प्रतिमा को साफ करके फूल, माला, और अक्षत चढ़ाएं।
- शनि मंत्रों का जाप करें।
- शनि देव को तेल, काला तिल, सरसों के तेल का दीपक, और काला उड़द चढ़ाएं।
- शनि देव की आरती करें।
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