शनि देव के 108 नामावली जानिये अर्थ महत्त्व
शनि देव के 108 नामावली जानिये अर्थ और महत्त्व
शनि देव के 108 नामावली उनके विविध स्वरूप, गुण, शक्तियों और न्यायप्रियता का विस्तार से वर्णन करती है। ये नाम शनि देव के धैर्य, न्याय, कर्मफल, संयम, वैराग्य, शक्ति, और भक्तों के प्रति उनकी कृपा को दर्शाते हैं। शनि देव को कर्म और न्याय का देवता माना जाता है, जो हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि के 108 नामों का जाप करने से जीवन में शनि की दशा या साढ़ेसाती से होने वाली बाधाएँ कम होती हैं, मानसिक शांति, धैर्य, आर्थिक समृद्धि और न्याय की प्राप्ति होती है। शनि के ये नाम विशेष रूप से शनिवार के दिन, शनि जयंती या शनि दोष शांति के लिए जपे जाते हैं।
शनि देव की पूजा से उन्हें न्याय, कर्म, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वे शनि देव की पूजा करने के लिए कई प्रकार के मंत्र और प्रार्थनाएँ करते हैं। शनि देव हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण देवता हैं। वे न्याय, कर्म, और ज्योतिष के प्रतीक हैं।
शनि देव की पूजा से उन्हें न्याय, कर्म, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वे शनि देव की पूजा करने के लिए कई प्रकार के मंत्र और प्रार्थनाएँ करते हैं। शनि देव हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण देवता हैं। वे न्याय, कर्म, और ज्योतिष के प्रतीक हैं।
- शनैश्चर- धीरे- धीरे चलने वाला
- शान्त- शांत रहने वाला
- सर्वाभीष्टप्रदायिन्- सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला
- शरण्य- रक्षा करने वाला
- वरेण्य- सबसे उत्कृष्ट
- सर्वेश- सारे जगत के देवता
- सौम्य- नरम स्वभाव वाले
- सुरवन्द्य- सबसे पूजनीय
- सुरलोकविहारिण् - सुरह्स की दुनिया में भटकने वाले
- सुखासनोपविष्ट - घात लगा के बैठने वाले
- सुन्दर- बहुत ही सुंदर
- घन – बहुत मजबूत
- घनरूप - कठोर रूप वाले
- घनाभरणधारिण् - लोहे के आभूषण पहनने वाले
- घनसारविलेप - कपूर के साथ अभिषेक करने वाले
- खद्योत – आकाश की रोशनी
- मन्द – धीमी गति वाले
- मन्दचेष्ट – धीरे से घूमने वाले
- महनीयगुणात्मन् - शानदार गुणों वाला
- मर्त्यपावनपद – जिनके चरण पूजनीय हो
- महेश – देवो के देव
- छायापुत्र – छाया का बेटा
- शर्व – पीड़ा देना वेला
- शततूणीरधारिण् - सौ तीरों को धारण करने वाले
- चरस्थिरस्वभाव - बराबर या व्यवस्थित रूप से चलने वाले
- अचञ्चल – कभी ना हिलने वाले
- नीलवर्ण – नीले रंग वाले
- नित्य - अनन्त एक काल तक रहने वाले
- नीलाञ्जननिभ – नीला रोगन में दिखने वाले
- नीलाम्बरविभूशण – नीले परिधान में सजने वाले
- निश्चल – अटल रहने वाले
- वेद्य – सब कुछ जानने वाले
- विधिरूप - पवित्र उपदेशों देने वाले
- विरोधाधारभूमी - जमीन की बाधाओं का समर्थन करने वाला
- भेदास्पदस्वभाव - प्रकृति का पृथक्करण करने वाला
- वज्रदेह – वज्र के शरीर वाला
- वैराग्यद – वैराग्य के दाता
- वीर – अधिक शक्तिशाली
- वीतरोगभय – डर और रोगों से मुक्त रहने वाले
- विपत्परम्परेश - दुर्भाग्य के देवता
- विश्ववन्द्य – सबके द्वारा पूजे जाने वाले
- गृध्नवाह – गिद्ध की सवारी करने वाले
- गूढ – छुपा हुआ
- कूर्माङ्ग – कछुए जैसे शरीर वाले
- कुरूपिण् - असाधारण रूप वाले
- कुत्सित - तुच्छ रूप वाले
- गुणाढ्य – भरपूर गुणों वाला
- गोचर - हर क्षेत्र पर नजर रखने वाले
- अविद्यामूलनाश – अनदेखा करने वालो का नाश करने वाला
- विद्याविद्यास्वरूपिण् - ज्ञान करने वाला और अनदेखा करने वाला
- आयुष्यकारण – लम्बा जीवन देने वाला
- आपदुद्धर्त्र - दुर्भाग्य को दूर करने वाले
- विष्णुभक्त – विष्णु के भक्त
- वशिन् - स्व-नियंत्रित करने वाले
- विविधागमवेदिन् - कई शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले
- विधिस्तुत्य – पवित्र मन से पूजा जाने वाला
- वन्द्य – पूजनीय
- विरूपाक्ष – कई नेत्रों वाला
- वरिष्ठ - उत्कृष्ट
- गरिष्ठ - आदरणीय देव
- वज्राङ्कुशधर – वज्र-अंकुश रखने वाले
- वरदाभयहस्त – भय को दूर भगाने वाले
- वामन – (बौना ) छोटे कद वाला
- ज्येष्ठापत्नीसमेत - जिसकी पत्नी ज्येष्ठ हो
- श्रेष्ठ – सबसे उच्च
- मितभाषिण् - कम बोलने वाले
- कष्टौघनाशकर्त्र – कष्टों को दूर करने वाले
- पुष्टिद - सौभाग्य के दाता
- स्तुत्य – स्तुति करने योग्य
- स्तोत्रगम्य - स्तुति के भजन के माध्यम से लाभ देने वाले
- भक्तिवश्य - भक्ति द्वारा वश में आने वाला
- भानु - तेजस्वी
- भानुपुत्र – भानु के पुत्र
- भव्य – आकर्षक
- पावन – पवित्र
- धनुर्मण्डलसंस्था - धनुमंडल में रहने वाले
- धनदा - धन के दाता
- धनुष्मत् - विशेष आकार वाले
- तनुप्रकाशदेह – तन को प्रकाश देने वाले
- तामस – ताम गुण वाले
- अशेषजनवन्द्य – सभी सजीव द्वारा पूजनीय
- विशेषफलदायिन् - विशेष फल देने वाले
- वशीकृतजनेश – सभी मनुष्यों के देवता
- पशूनां पति - जानवरों के देवता
- खेचर – आसमान में घूमने वाले
- घननीलाम्बर – गाढ़ा नीला वस्त्र पहनने वाले
- काठिन्यमानस – निष्ठुर स्वभाव वाले
- आर्यगणस्तुत्य – आर्य द्वारा पूजे जाने वाले
- नीलच्छत्र – नीली छतरी वाले
- नित्य – लगातार
- निर्गुण – बिना गुण वाले
- गुणात्मन् - गुणों से युक्त
- निन्द्य – निंदा करने वाले
- वन्दनीय – वन्दना करने योग्य
- धीर - दृढ़निश्चयी
- दिव्यदेह – दिव्य शरीर वाले
- दीनार्तिहरण – संकट दूर करने वाले
- दैन्यनाशकराय – दुख का नाश करने वाला
- आर्यजनगण्य – आर्य के लोग
- क्रूर – कठोर स्वभाव वाले
- क्रूरचेष्ट – कठोरता से दंड देने वाले
- कामक्रोधकर – काम और क्रोध का दाता
- कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण - पत्नी और बेटे की दुश्मनी
- परिपोषितभक्त – भक्तों द्वारा पोषित
- परभीतिहर – डर को दूर करने वाले
- भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद – भक्तों के मन की इच्छा पूरी करने वाले
- निरामय – रोग से दूर रहने वाला
- शनि - शांत रहने वाला
शनि देव के 108 नाम और उनके अर्थ (संक्षिप्त अर्थ सहित)-
1. शनैश्चर – धीरे-धीरे चलने वाले
2. शांत – शांत स्वभाव वाले
3. सर्वाभीष्टप्रदायिन् – सभी इच्छाएँ पूरी करने वाले
4. शरण्य – शरण देने वाले
5. वरेण्य – श्रेष्ठ
6. सर्वेश – सबके स्वामी
7. सौम्य – कोमल स्वभाव वाले
8. सुरवंद्य – देवताओं द्वारा पूजित
9. सुरलोकविहारिण – देव लोक में विचरण करने वाले
10. सुखासनोपविष्ट – सुखासन पर विराजमान
11. सुंदर – सुंदर स्वरूप वाले
12. घन – घने स्वरूप वाले
13. घनरूप – घन के समान स्वरूप
14. घनाभरणधारिण – घन के आभूषण धारण करने वाले
15. घनसारविलेप – घनसार से अभिषिक्त
16. खद्योत – प्रकाशमान
17. मंद – मंद गति वाले
18. मंदचेष्ट – धीमे चलने वाले
19. महनीयगुणात्मन् – महान गुणों वाले
20. मर्त्यपावनपद – मर्त्यलोक को पवित्र करने वाले
21. महेश – महान ईश्वर
22. छायापुत्र – छाया के पुत्र
23. शर्व – शिव स्वरूप
24. शततूणीरधारिण – सौ तीरों के धारक
25. चरस्थिरस्वभाव – स्थिर और चलायमान स्वभाव वाले
26. अचंचल – अचल
27. नीलवर्ण – नीले रंग के
28. नित्य – सदा रहने वाले
29. नीलांजननिभ – नीलांजन के समान
30. नीलांबरविभूषण – नीले वस्त्र धारण करने वाले
31. निश्चल – स्थिर
32. वेद्य – सब कुछ जानने वाले
33. विधिरूप – विधि स्वरूप
34. विरोधाधारभूमि – विरोध का आधार
35. भेदास्पदस्वभाव – भेद करने वाले
36. वज्रदेह – वज्र के समान शरीर वाले
37. वैराग्यद – वैराग्य देने वाले
38. वीर – वीरता के प्रतीक
39. वीतरोगभय – रोग और भय से मुक्त
40. विपत्परम्परेश – विपत्तियों के स्वामी
41. विश्ववंद्य – सबके पूज्य
42. गृध्नवाह – गिद्ध वाहन वाले
43. गूढ़ – रहस्यमय
44. कूर्मांग – कछुए के अंग वाले
45. कुरूपिण – अनूठे रूप वाले
46. कुत्सित – विचित्र
47. गुणाढ्य – गुणों से भरपूर
48. गोचर – सब पर दृष्टि रखने वाले
49. आयुष्यकारण – आयु के कारण
50. आपदुद्धर्त्र – आपदा से उबारने वाले
51. विष्णुभक्त – विष्णु के भक्त
52. वशिन् – स्व-नियंत्रित
53. विविधागमवेदिन् – अनेक शास्त्रों के ज्ञाता
54. विधिस्तुत्य – विधि द्वारा स्तुत्य
55. वंद्य – पूज्य
56. विरूपाक्ष – विचित्र नेत्रों वाले
57. वरिष्ठ – श्रेष्ठ
58. गरिष्ठ – आदरणीय
59. वज्रांकुशधर – वज्र और अंकुश धारण करने वाले
60. वरदाभयहस्त – वर और अभय देने वाले
61. वामन – छोटे कद वाले
62. ज्येष्ठापत्नीसमेत – ज्येष्ठा पत्नी के साथ
63. श्रेष्ठ – सबसे श्रेष्ठ
64. मितभाषिण – कम बोलने वाले
65. कष्टौघनाशकर्त्र – कष्टों का नाश करने वाले
66. पुष्टिद – पुष्टिकारक
67. स्तुत्य – स्तुति योग्य
68. स्तोत्रगम्य – स्तोत्र द्वारा प्राप्त
69. भक्तिवश्य – भक्ति से वश
70. भानु – सूर्य
71. भानुपुत्र – सूर्य के पुत्र
72. भव्य – भव्य स्वरूप
73. पावन – पवित्र
74. धनुर्मण्डलसंस्था – धनु राशि में स्थित
75. धनदा – धन देने वाले
76. धनुष्मत् – धनुष धारण करने वाले
77. तनुप्रकाशदेह – प्रकाशमान शरीर वाले
78. तामस – तमोगुणी
79. अशेषजनवंद्य – सभी द्वारा पूज्य
80. विशेषफलदायिन् – विशेष फल देने वाले
81. वशीकृतजनेश – सभी को वश में करने वाले
82. पशूनांपति – पशुओं के स्वामी
83. खेचर – आकाश में विचरण करने वाले
84. घननीलांबर – गहरे नीले वस्त्र वाले
85. काठिन्यमानस – कठोर मन वाले
86. आर्यगणस्तुत्य – आर्यजन द्वारा पूज्य
87. नीलच्छत्र – नीली छतरी वाले
88. निर्गुण – निर्गुण स्वरूप
89. गुणात्मन् – गुणों के स्वामी
90. निरामय – रोग रहित
91. निंद्य – निंदा करने योग्य
92. वंदनीय – वंदना योग्य
93. धीर – धैर्यवान
94. दिव्यदेह – दिव्य शरीर वाले
95. दीनार्तिहरण – दीनों के कष्ट हरने वाले
96. दैन्यनाशकर – दैन्य (दुख) का नाश करने वाले
97. आर्यजनगण्य – आर्यजन में गण्य
98. क्रूर – कठोर
99. क्रूरचेष्ट – कठोरता से दंड देने वाले
100. कामक्रोधकर – काम और क्रोध उत्पन्न करने वाले
101. कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण – पत्नी-पुत्र में शत्रुता का कारण
102. परिपोषितभक्त – भक्तों का पालन करने वाले
103. परभीतिहर – दूसरों का भय हरने वाले
104. भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद – भक्तों की इच्छा पूरी करने वाले
105. निरामय – रोग से मुक्त
106. शनि – शांत स्वरूप
107. नित्य – सदा रहने वाले
108. गुणात्मन् – गुणों के स्वामी
शनि देव के 108 नामों का जाप करने से शनि की दशा, साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव कम होते हैं, जीवन में बाधाएँ दूर होती हैं, मानसिक शांति, धैर्य, न्याय, आर्थिक समृद्धि, रोगमुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह नामावली शनि देव की कृपा प्राप्त करने, बुरे कर्मों के फल से बचने और जीवन में संतुलन, संयम तथा सकारात्मकता लाने का सशक्त साधन है। शनि के ये नाम न्याय, कर्म, संयम और धैर्य के प्रतीक हैं, जिनका स्मरण साधक को जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
शनि पूजा करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
शनि पूजा शनिवार के दिन की जाती है। शनि मंदिर में शनि देव की प्रतिमा के सामने पूजा की जाती है। पूजा के दौरान शनि देव को तेल, काला तिल, सरसों के तेल का दीपक, और काला उड़द चढ़ाया जाता है। शनि मंत्रों का जाप किया जाता है।
शनि पूजा करने के कुछ नियम निम्नलिखित हैं:
1. शनैश्चर – धीरे-धीरे चलने वाले
2. शांत – शांत स्वभाव वाले
3. सर्वाभीष्टप्रदायिन् – सभी इच्छाएँ पूरी करने वाले
4. शरण्य – शरण देने वाले
5. वरेण्य – श्रेष्ठ
6. सर्वेश – सबके स्वामी
7. सौम्य – कोमल स्वभाव वाले
8. सुरवंद्य – देवताओं द्वारा पूजित
9. सुरलोकविहारिण – देव लोक में विचरण करने वाले
10. सुखासनोपविष्ट – सुखासन पर विराजमान
11. सुंदर – सुंदर स्वरूप वाले
12. घन – घने स्वरूप वाले
13. घनरूप – घन के समान स्वरूप
14. घनाभरणधारिण – घन के आभूषण धारण करने वाले
15. घनसारविलेप – घनसार से अभिषिक्त
16. खद्योत – प्रकाशमान
17. मंद – मंद गति वाले
18. मंदचेष्ट – धीमे चलने वाले
19. महनीयगुणात्मन् – महान गुणों वाले
20. मर्त्यपावनपद – मर्त्यलोक को पवित्र करने वाले
21. महेश – महान ईश्वर
22. छायापुत्र – छाया के पुत्र
23. शर्व – शिव स्वरूप
24. शततूणीरधारिण – सौ तीरों के धारक
25. चरस्थिरस्वभाव – स्थिर और चलायमान स्वभाव वाले
26. अचंचल – अचल
27. नीलवर्ण – नीले रंग के
28. नित्य – सदा रहने वाले
29. नीलांजननिभ – नीलांजन के समान
30. नीलांबरविभूषण – नीले वस्त्र धारण करने वाले
31. निश्चल – स्थिर
32. वेद्य – सब कुछ जानने वाले
33. विधिरूप – विधि स्वरूप
34. विरोधाधारभूमि – विरोध का आधार
35. भेदास्पदस्वभाव – भेद करने वाले
36. वज्रदेह – वज्र के समान शरीर वाले
37. वैराग्यद – वैराग्य देने वाले
38. वीर – वीरता के प्रतीक
39. वीतरोगभय – रोग और भय से मुक्त
40. विपत्परम्परेश – विपत्तियों के स्वामी
41. विश्ववंद्य – सबके पूज्य
42. गृध्नवाह – गिद्ध वाहन वाले
43. गूढ़ – रहस्यमय
44. कूर्मांग – कछुए के अंग वाले
45. कुरूपिण – अनूठे रूप वाले
46. कुत्सित – विचित्र
47. गुणाढ्य – गुणों से भरपूर
48. गोचर – सब पर दृष्टि रखने वाले
49. आयुष्यकारण – आयु के कारण
50. आपदुद्धर्त्र – आपदा से उबारने वाले
51. विष्णुभक्त – विष्णु के भक्त
52. वशिन् – स्व-नियंत्रित
53. विविधागमवेदिन् – अनेक शास्त्रों के ज्ञाता
54. विधिस्तुत्य – विधि द्वारा स्तुत्य
55. वंद्य – पूज्य
56. विरूपाक्ष – विचित्र नेत्रों वाले
57. वरिष्ठ – श्रेष्ठ
58. गरिष्ठ – आदरणीय
59. वज्रांकुशधर – वज्र और अंकुश धारण करने वाले
60. वरदाभयहस्त – वर और अभय देने वाले
61. वामन – छोटे कद वाले
62. ज्येष्ठापत्नीसमेत – ज्येष्ठा पत्नी के साथ
63. श्रेष्ठ – सबसे श्रेष्ठ
64. मितभाषिण – कम बोलने वाले
65. कष्टौघनाशकर्त्र – कष्टों का नाश करने वाले
66. पुष्टिद – पुष्टिकारक
67. स्तुत्य – स्तुति योग्य
68. स्तोत्रगम्य – स्तोत्र द्वारा प्राप्त
69. भक्तिवश्य – भक्ति से वश
70. भानु – सूर्य
71. भानुपुत्र – सूर्य के पुत्र
72. भव्य – भव्य स्वरूप
73. पावन – पवित्र
74. धनुर्मण्डलसंस्था – धनु राशि में स्थित
75. धनदा – धन देने वाले
76. धनुष्मत् – धनुष धारण करने वाले
77. तनुप्रकाशदेह – प्रकाशमान शरीर वाले
78. तामस – तमोगुणी
79. अशेषजनवंद्य – सभी द्वारा पूज्य
80. विशेषफलदायिन् – विशेष फल देने वाले
81. वशीकृतजनेश – सभी को वश में करने वाले
82. पशूनांपति – पशुओं के स्वामी
83. खेचर – आकाश में विचरण करने वाले
84. घननीलांबर – गहरे नीले वस्त्र वाले
85. काठिन्यमानस – कठोर मन वाले
86. आर्यगणस्तुत्य – आर्यजन द्वारा पूज्य
87. नीलच्छत्र – नीली छतरी वाले
88. निर्गुण – निर्गुण स्वरूप
89. गुणात्मन् – गुणों के स्वामी
90. निरामय – रोग रहित
91. निंद्य – निंदा करने योग्य
92. वंदनीय – वंदना योग्य
93. धीर – धैर्यवान
94. दिव्यदेह – दिव्य शरीर वाले
95. दीनार्तिहरण – दीनों के कष्ट हरने वाले
96. दैन्यनाशकर – दैन्य (दुख) का नाश करने वाले
97. आर्यजनगण्य – आर्यजन में गण्य
98. क्रूर – कठोर
99. क्रूरचेष्ट – कठोरता से दंड देने वाले
100. कामक्रोधकर – काम और क्रोध उत्पन्न करने वाले
101. कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण – पत्नी-पुत्र में शत्रुता का कारण
102. परिपोषितभक्त – भक्तों का पालन करने वाले
103. परभीतिहर – दूसरों का भय हरने वाले
104. भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद – भक्तों की इच्छा पूरी करने वाले
105. निरामय – रोग से मुक्त
106. शनि – शांत स्वरूप
107. नित्य – सदा रहने वाले
108. गुणात्मन् – गुणों के स्वामी
शनि देव के 108 नामों का जाप करने से शनि की दशा, साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव कम होते हैं, जीवन में बाधाएँ दूर होती हैं, मानसिक शांति, धैर्य, न्याय, आर्थिक समृद्धि, रोगमुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह नामावली शनि देव की कृपा प्राप्त करने, बुरे कर्मों के फल से बचने और जीवन में संतुलन, संयम तथा सकारात्मकता लाने का सशक्त साधन है। शनि के ये नाम न्याय, कर्म, संयम और धैर्य के प्रतीक हैं, जिनका स्मरण साधक को जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
शनि पूजा करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- न्याय की प्राप्ति
- कर्मों के फल की प्राप्ति
- शनि के अशुभ प्रभावों से बचाव
- सुख, समृद्धि, और सफलता
शनि पूजा शनिवार के दिन की जाती है। शनि मंदिर में शनि देव की प्रतिमा के सामने पूजा की जाती है। पूजा के दौरान शनि देव को तेल, काला तिल, सरसों के तेल का दीपक, और काला उड़द चढ़ाया जाता है। शनि मंत्रों का जाप किया जाता है।
शनि पूजा करने के कुछ नियम निम्नलिखित हैं:
- शनिवार के दिन स्नान करके साफ कपड़े पहनकर पूजा करें।
- पूजा स्थल को साफ और सुंदर रखें।
- शनि देव की प्रतिमा को साफ करके फूल, माला, और अक्षत चढ़ाएं।
- शनि मंत्रों का जाप करें।
- शनि देव को तेल, काला तिल, सरसों के तेल का दीपक, और काला उड़द चढ़ाएं।
- शनि देव की आरती करें।
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