श्री भैरव जी की आरती लिरिक्स Bhairav Aarti Lyrics

श्री भैरव जी की आरती लिरिक्स Bhairav Aarti Lyrics SHRI BHARAV JI KI AARTI आरती संग्रह | आरती लिरिक्स हिन्दी


भगवान काल भैरव-भगवान शिव का उग्र रूप है। वह कमल के फूल, धधकते बाल, बाघ के दांत, उसकी गर्दन या मुकुट के चारों ओर लिपटे सांप और एक भयानक मानव खोपड़ी की माला की तरह गुस्से वाली आंखों के साथ एक आक्रामक रूप में चित्रित किया गया है। काला भैरव अक्सर एक त्रिशूल, और ब्रह्मा के गंभीर पांचवें सिर को ढोते हुए दर्शाया गया हैं। दुनिया को बचाने के लिए, देवता को ज़हर निगलने से नीला कर दिया जाता है। इसलिए भैरव को मृत्यु का विजेता भी माना जाता है। अष्टमी को पूर्णिमा (पूर्णिमा के बाद आठवें दिन) के बाद पूजा अनुष्ठानों के लिए सबसे आदर्श दिन कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष माह में काला भैरव पृथ्वी पर प्रकट होने वाले दिन के उपलक्ष्य में काला भैरवाष्टमी या काला भैरव जयंती मना रहे हैं। 12 ज्योतिर्लिंग शिव मंदिरों में कासी, तिरुवन्नामलाई, उज्जैन और अन्य में, विस्तृत समारोह हैं कि इस दिन विशेष संस्कार और संस्कार होते हैं।


श्री भैरव आरती हिंदी में : Shri Bhairav Aarti in Hindi
जय भैरव देवा प्रभु जय भैरव देवा |
जय काली और गौरा कृतसेवा ||
तुम पापी उद्धारक दुख सिन्धु तारक |
भक्तों के सुखकारक भीषण वपु धारक |
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी |
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी |
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे |
चतुर्वतिका दीपक दर्शन दुःख खोवे |
तेल चटकी दधि मिश्रित माषवली तेरी |
कृपा कीजिये भैरव करिये नहीं देरी |
पाँवों घुंघरू बाजत डमरू डमकावत |
बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषवत |
बटुकनाथ की आरती जो कोई जन गावे |
कहे ' धरणीधर ' वह नर मन वांछित फल पावे |
Jay Bhairav Deva Prabhu Jay Bhairav Deva |
Jay Kaalee Aur Gaura Krtaseva ||
Tum Paapee Uddhaarak Dukh Sindhu Taarak |
Bhakton Ke Sukhakaarak Bheeshan Vapu Dhaarak |
Vaahan Shvaan Viraajat Kar Trishool Dhaaree |
Mahima Amit Tumhaaree Jay Jay Bhayahaaree |
Tum Bin Deva Seva Saphal Nahin Hove |
Chaturvatika Deepak Darshan Duhkh Khove |
Tel Chatakee Dadhi Mishrit Maashavalee Teree |
Krpa Keejiye Bhairav Kariye Nahin Deree |
Paanvon Ghungharoo Baajat Damaroo Damakaavat |
Batukanaath Ban Baalak Jan Man Harashavat |
Batukanaath Kee Aaratee Jo Koee Jan Gaave |
Kahe Dharaneedhar Vah Nar Man Vaanchhit Phal Paave | 
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा...॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा...॥

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा...॥

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा...॥

तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा...॥

पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा...॥

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा...॥

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