ॐ जय यमुना माता यमुना जी की आरती
ॐ जय यमुना माता यमुना जी की आरती
ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता,जो ध्यावे फल पावे सुख सुख की दाता |ॐ
पावन श्रीयमुना जल शीतल अगम बहै धारा,
जो जन शरण से कर दिया निस्तारा |ॐ
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे,
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे |ॐ
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही,
तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेद कही |ॐ
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो,
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो |ॐ
नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी,
मन बेचैन भय है तुम बिन वैतरणी |ॐ
श्री यमुना माता जी की आरती के बोल/लिरिक्स निचे दिए गए हैं -
ऊँ जय यमुना माता ,हरि ऊँ जय यमुना माता ,
नो नहावे फल पावे सुख सुख की दाता ।
ऊँ जय यमुना माता
पवन श्री यमुना जल शीतल अगम बहै धारा ,
जो जन शरण से कर दिया निस्तारा ।
ऊँ जय यमुना माता
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे ,
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे ।
ऊँ जय यमुना माता
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही ,
तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेद कही ।
ऊँ जय यमुना माता
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो ,
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो ।
ऊँ जय यमुना माता
नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी ,
मन बेचैन भया है तुम बिन वैतरणी ।
ऊँ जय यमुना माता
सुन्दर भजन में श्रीयमुनाजी की पावन महिमा और उनकी दिव्य कृपा का वर्णन किया गया है। उनकी शीतल जलधारा आत्मा को शांति और शुद्धता प्रदान करती है। जो भक्त सच्चे मन से उनकी शरण में आता है, वह समस्त विकारों से मुक्त होकर निस्तार प्राप्त करता है।
श्रीयमुनाजी का स्मरण और उनके निर्मल जल से स्नान करने से जीवन के समस्त कष्ट समाप्त हो जाते हैं। जो श्रद्धा पूर्वक उनकी पूजा करता है, उसे यम की पीड़ा नहीं सताती, और उसका अंतःकरण दिव्यता से भर जाता है। उनकी महिमा कालजयी है, जिसे वेदों ने भी वंदित किया है।
श्रीयमुनाजी के पावन तट पर प्रभु का अवतरण हुआ, और उनके जल की निर्मलता ने कंस जैसे अधर्मी का अंत करने में सहायता की। उनकी कृपा से ही संसार में धर्म की पुनर्स्थापना होती है, और मनुष्य के पाप विनष्ट होते हैं।
श्रीयमुनाजी भय को समाप्त करने वाली और शुभ मंगल की प्रदाता हैं। जो श्रद्धा से उनका स्मरण करता है, उसकी आत्मा बेचैनी से मुक्त होती है, और वह जीवन की वैतरणी को पार करने की क्षमता प्राप्त करता है। उनके चरणों में शरणागति से साधक को निर्मलता, शांति और सच्चे आनंद की प्राप्ति होती है। उनकी भक्ति से ही जीवन कृतार्थ और दिव्यता से परिपूर्ण होता है।
श्रीयमुनाजी का स्मरण और उनके निर्मल जल से स्नान करने से जीवन के समस्त कष्ट समाप्त हो जाते हैं। जो श्रद्धा पूर्वक उनकी पूजा करता है, उसे यम की पीड़ा नहीं सताती, और उसका अंतःकरण दिव्यता से भर जाता है। उनकी महिमा कालजयी है, जिसे वेदों ने भी वंदित किया है।
श्रीयमुनाजी के पावन तट पर प्रभु का अवतरण हुआ, और उनके जल की निर्मलता ने कंस जैसे अधर्मी का अंत करने में सहायता की। उनकी कृपा से ही संसार में धर्म की पुनर्स्थापना होती है, और मनुष्य के पाप विनष्ट होते हैं।
श्रीयमुनाजी भय को समाप्त करने वाली और शुभ मंगल की प्रदाता हैं। जो श्रद्धा से उनका स्मरण करता है, उसकी आत्मा बेचैनी से मुक्त होती है, और वह जीवन की वैतरणी को पार करने की क्षमता प्राप्त करता है। उनके चरणों में शरणागति से साधक को निर्मलता, शांति और सच्चे आनंद की प्राप्ति होती है। उनकी भक्ति से ही जीवन कृतार्थ और दिव्यता से परिपूर्ण होता है।
यमुना जी की आरती