फागुन में बाबा हम तेरे दर पे आएंगे

फागुन में बाबा हम तेरे दर पे आएंगे

 फागुन में बाबा,
हम तेरे दर पे आएंगे,
रींगस से चलके खाटू,
निशान चढ़ाएंगे,
तेरे संग फाग मनाएंगे,
तेरे रंग में रंग जाएंगे।।

कोई दंडवत करके आता,
कोई पैदल चलता है,
लगता मीठा दर्द सारा,
जब आनंद यहाँ आता है।।

बाबुल के जैसे ये हमको,
कितना लाड़ लड़ाता है,
खीर चूरमा बड़े चाव से,
हम सबको ये खिलाता है।।

जन्नत का नज़ारा,
खाटू में,,
खुशियों का ख़ज़ाना,
खाटू में,,
मेले में हर साल हम,
दर पे आएंगे,
रींगस से चलके खाटू,
निशान चढ़ाएंगे,
तेरे संग फाग मनाएंगे,
तेरे रंग में रंग जाएंगे।।
श्याम बाबा की महिमा

तू ही देता है हमको,
लगता जितना खर्चा है,
कैसे भुला दें ‘श्याम’ तुझे,
देता पल-पल पर्चा है।।

तेरी शरण जब से आया,
सब कुछ मैंने पाया है,
कोई चाह बची ना ‘सोनू’,
मन तुझमें ही रमाया है।।

सुख का दरिया है,
खाटू में,,
हर दुःख की दवा है,
खाटू में,,
बैठ के तेरे चरणों में,
भजन सुनाएंगे,
रींगस से चलके खाटू,
निशान चढ़ाएंगे,
तेरे संग फाग मनाएंगे,
तेरे रंग में रंग जाएंगे।।


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