मीरा जनमी मेड़ता में, और परणाई चित्तौड़, हरी भजन प्रताप से, भई सकल सृष्टि शिरमौर, सकल सृष्टि शिरमौर, जगत में नाम ऊँचो भयो, जगत में नाम हो गयो मशहूर, म्हारा हरी निर्मोही रे, साँवरा जाय बस्यो परदेस, जाय बस्यो परदेस सांवरा, जाय बस्यो परदेस।।
सावण आवण ने गयो जी, कर गयो काल अनेक, गिनता-गिनता घस गई म्हारी, लाल अंगुलियां नीर भिगो रे, म्हारा हरी निर्मोही रे, साँवरा जाय बस्यो परदेस, जाय बस्यो परदेस सांवरा, जाय बस्यो परदेस।।
सावन में घनघोर घटा छाई, बिजुरी चमकी गगन में, मीरा रोई दर-दर भटकी, पीव बसे सावर नगर में, म्हारा हरी निर्मोही रे, साँवरा जाय बस्यो परदेस, जाय बस्यो परदेस सांवरा, जाय बस्यो परदेस।।
सावन आवण ने गयो जी, कर गयो काल अनेक, गिनता-गिनता घस गई म्हारी, लाल अंगुलियां नेक, म्हारा हरी निर्मोही रे, साँवरा जाय बस्यो परदेस, जाय बस्यो परदेस सांवरा, जाय बस्यो परदेस।।
मस्तक पर है ताज सदा, हरि धारण किए मुकुट, बंसी धरे कर में सांवरा, मोहन संग नाचे प्रीतमजी, म्हारा हरी निर्मोही रे, साँवरा जाय बस्यो परदेस, जाय बस्यो परदेस सांवरा, जाय बस्यो परदेस।।
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