बोल सुबह राम राम मीठी मीठी वाणी रे
बोल सुबह राम राम, मीठी-मीठी वाणी रे।।
सोने के ही तार सजा, पिंजरों बनाऊं रे,
पिंजरे रे मोती धारी, झालरी लगाऊं रे।।
बोल सुबह राम राम, मीठी-मीठी वाणी रे।।
भीतर मिठाई, मेवा लाख शी जमाऊं रे,
आमरेड़े रस तने, घोल-घोल पाऊं रे।।
बोल सुबह राम राम, मीठी-मीठी वाणी रे।।
चंपा के री डाल सजा, हिंडोले झुलाऊं रे,
हिंडोले बिठा के तने, हाथ सुं झुलाऊं रे।।
बोल सुबह राम राम, मीठी-मीठी वाणी रे।।
पगल्या रे माहि थारे, पायजनियां पहनाऊं रे,
मीरा गिरधारी शरणे, आया सुख पाऊं रे।।
बोल सुबह राम राम, मीठी-मीठी वाणी रे।।
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