मैं मीरा दीवानी हूँ दीवानी मैं श्याम की

मैं मीरा दीवानी हूँ दीवानी मैं श्याम की


मैं मीरा दीवानी हूँ, दीवानी मैं श्याम की
जब से चाहा तुझको मोहन, रही न मन में कोई कमाना,
क्या करती मैं जग के साधन, मन में जब बस गई साधना।
नश्वर है जब सारी दुनिया, तो दुनिया किस काम की,
मैं मीरा दीवानी हूँ, दीवानी मैं श्याम की।

अक्षर-अक्षर जोड़-जोड़ कर, गीत-गीत में श्याम लिखा,
भक्ति भाव में मन यूँ डूबा, तन को अक्षरधाम लिखा।
राजमहल में जब-जब भेजे, पीने को विष के प्याले,
मैंने हर प्याले के ऊपर, मोहन तेरा नाम लिखा।
गाते-गाते गीत मिलन के, सुध-बिसरी आराम की,
मैं मीरा दीवानी हूँ, दीवानी मैं श्याम की।

जग के सब स्वार्थ के अंधे, मन की पीड़ा जाने कौन,
असुवन सींची प्रेम बेल को, पुष्पों को पहचाने कौन।
मन का सब सुख-चैन जल गया, साँसों के दावानल में,
मन वैरागी जले रात भर, बात कहूँ तो माने कौन।
लोभ, मोह, मद, दमित जले, जल गई दुराशा काम की,
मैं मीरा दीवानी हूँ, दीवानी मैं श्याम की।


जब से चाहा तुझको मोहन | अंकित त्रिवेदी | Jab Se Chaha Tujhko Mohan | Sanskar Bhajan

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Written by :- Dr. Mohini Bhuvan well known Hindi poet
Singer :- Ankit Trivedi (Gujarat)
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