सबको नाँच नचाता
सबको नाँच नचाता,
फिर भी नज़र नहीं जो आता,
सबको नाँच नचाता,
फिर भी नज़र नहीं जो आता,
ऐसी दुनियां को बनानेवाला,
कौन है वोही श्याम है, घनश्याम है,
अम्बर से पानी बरसाता,
पत्थर में जो फूल खिलाता,
ऐसी दुनिया को बनानेवाला,
कौन है वोही श्याम है, घनश्याम है,
माला घुमाने से वह, नहीं मिलता वह नहीं मिलता,
भस्म लगाने से वह, नहीं हिलता वह नहीं हिलता,
झोपड़ियों में फूल वह खिलाता,
फूल वह खिलाता,
कोई गरीब के आंसू में मिलता, आंसू में मिलता,
वही पिता है वहीं माता, वही सबका भाग्य विधाता,
ऐसा सर्जनहारा सबका, प्यारा कौन है,
वही श्याम है घनश्याम,
है सबको नाच नचाता,
फिर भी नज़र नहीं जो आता,
ऐसी दुनिया को बनानेवाला कौन है,
वही श्याम है घनश्याम है,
एक है राजा एक भिखारी,
क्यूँ एक भिखारी,
एक अछूत और एक पुजारी,
क्यूँ एक पुजारी,
यह भेद पापी हमने,
बनाया है हमने बनाये,
वह तो सभी के है तन में,
समय मन में समाया,
सबको एक प्यारसे सीचा,
कोई उंच न कोई नीचा,
ऐसा एक सामान समझनेवाला कौन है,
वही श्याम है घनश्याम है,
सबको नाच नचाता,
फिर भी नज़र नहीं जो आता,
ऐसी दुनिया को बनानेवाला कौन है,
वही श्याम है घनश्याम है,
राधेश्याम है घनश्याम है,
राधेश्याम है घनश्याम है,
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