बहुत ज़नम बिछड़े थे माधों एह जनम तुम्हारें लेखें लिरिक्स Bahut Janam Bichade The Madho Lyrics
बहुत ज़नम बिछड़े थे माधों, एह जनम तुम्हारें लेखें,
बहुत जनम बिछड़े थे माधों, एह जनम तुम्हारें लेखें,
बहुत जनम,
कह रविदास आस लग जी ओ, चिर पओ दर्शण देखें,
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे,
बहुत जनम बिछड़े थे माधों, एह जनम तुम्हारें लेखें,
बहुत जनम,
हमसर दीन दयाल ना तुमससर,अब पतियार क्या कीजै,
हमसर दीन दयाल ना तुमससर,अब पतियार क्या कीजै,
बचनी तोड़ मोर मन माने, जम को पूरण दीजै,
बहुत जनम बिछड़े थे माधों, एह जनम तुम्हारें लेखें,
बहुत जनम,
होऊं बल बल जाऊँ, रमियाँ कारणे, कारण क़बूलूं अबूल,
होऊं बल बल जाऊँ, रमियाँ कारणे, कारण क़बूलूं अबूल,
बहुत जनम बिछड़े थे माधों, एह जनम तुम्हारें लेखें,
बहुत जनम,
बहुत जनम बिछड़े थे माधों, एह जनम तुम्हारें लेखें,
बहुत जनम,
कह रविदास आस लग जी ओ, चिर पओ दर्शण देखें,
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे,
बहुत जनम बिछड़े थे माधों, एह जनम तुम्हारें लेखें,
बहुत जनम,
हमसर दीन दयाल ना तुमससर,अब पतियार क्या कीजै,
हमसर दीन दयाल ना तुमससर,अब पतियार क्या कीजै,
बचनी तोड़ मोर मन माने, जम को पूरण दीजै,
बहुत जनम बिछड़े थे माधों, एह जनम तुम्हारें लेखें,
बहुत जनम,
होऊं बल बल जाऊँ, रमियाँ कारणे, कारण क़बूलूं अबूल,
होऊं बल बल जाऊँ, रमियाँ कारणे, कारण क़बूलूं अबूल,
बहुत जनम बिछड़े थे माधों, एह जनम तुम्हारें लेखें,
बहुत जनम,
बहुत जनम बिछुरे थे माधउ, इहु जनमु तुम्हारे लेखे।।
कहि रविदास आस लगि जीवउ, चिर भइओ दरसनु देखे।।
हम सरि दीनु, दइआलु न तुम सरि, अब पतीआरू किआ कीजै।।
बचनी तोर मोर मनु मानै, जन कउ पूरनु दीजै।।
हउ बलि बलि जाउ रमईआ कारने।।
कारन कवन अबोल।। रहाउ।।
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गुरु रामदास जी द्वारा रचित यह रचना आत्मा को छू गई: मनुष्य जन्म सर्वश्रेष्ठ है और भगवान के लिए, अर्थात् ध्यान के लिए: भाई परापत मनुख देहुरिया गोबिंद मिलन की एत तेरी बैरिया: अवर काज तेरे कठे न काम: मिल साध संगत भज केवल नामु: .... एहा खाट चलो हरि लह अगै
ਬਹੁਤ ਜਨਮ ਬਿਛੁਰੇ ਥੇ ਮਾਧਉ, ਇਹੁ ਜਨਮੁ ਤੁਮਾਰੇ ਲੇਖੇ ॥
ਹਮ ਸਰਿ ਦੀਨੁ, ਦਇਆਲੁ ਨ ਤੁਮ ਸਰਿ, ਅਬ ਪਤੀਆਰੁ ਕਿਆ ਕੀਜੈ ॥
ਬਚਨੀ ਤੋਰ ਮੋਰ ਮਨੁ ਮਾਨੈ, ਜਨ ਕਉ ਪੂਰਨੁ ਦੀਜੈ ॥
ਹਉ ਬਲਿ ਬਲਿ ਜਾਉ ਰਮਈਆ ਕਾਰਨੇ, ਕਾਰਨ ਕਵਨ ਅਬੋਲ ॥
ਬਹੁਤ ਜਨਮ ਬਿਛੁਰੇ ਥੇ ਮਾਧਉ, ਇਹੁ ਜਨਮੁ ਤੁਮਾਰੇ ਲੇਖੇ ॥
ਕਹਿ ਰਵਿਦਾਸ ਆਸ ਲਗਿ ਜੀਵਉ, ਚਿਰ ਭਇਓ ਦਰਸਨੁ ਦੇਖੇ ॥
ਹਮ ਸਰਿ ਦੀਨੁ, ਦਇਆਲੁ ਨ ਤੁਮ ਸਰਿ, ਅਬ ਪਤੀਆਰੁ ਕਿਆ ਕੀਜੈ ॥
ਬਚਨੀ ਤੋਰ ਮੋਰ ਮਨੁ ਮਾਨੈ, ਜਨ ਕਉ ਪੂਰਨੁ ਦੀਜੈ ॥
ਹਉ ਬਲਿ ਬਲਿ ਜਾਉ ਰਮਈਆ ਕਾਰਨੇ, ਕਾਰਨ ਕਵਨ ਅਬੋਲ ॥
ਬਹੁਤ ਜਨਮ ਬਿਛੁਰੇ ਥੇ ਮਾਧਉ, ਇਹੁ ਜਨਮੁ ਤੁਮਾਰੇ ਲੇਖੇ ॥
ਕਹਿ ਰਵਿਦਾਸ ਆਸ ਲਗਿ ਜੀਵਉ, ਚਿਰ ਭਇਓ ਦਰਸਨੁ ਦੇਖੇ ॥
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
हम सर दीन द्याल ना तुमसर्र,अब पतियार क्या कीजे
हम सर दीन द्याल ना तुमसर्र,अब पतियार क्या कीजे
व्चनि तोड़ मोर मन माने,जन को पूरण दीजे,जन को पूरण दीजे
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
हूउ बल बल जाओ ऊ,रमिया कारने,कारण कबन ना अबूल
हूउ बल बल जाओ ऊ,रमिया कारने,कारण कबन ना अबूल
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे
मेरे प्रीत गोबिंद सो जन घाटे,मई तो मोल महँगी लाए जी सतह
साध संगत बिना पाओ ना उपजाए,पाव बिन भगत नही कोई तेरे
चित सिमरन को नैन अवलोक्नो,सरवन बानी सो जस्स पूरा राखो
मन सो मढ़ कर केरो चरण हृद्या तारो
रसन्न् अमृत राम नाम पाकू
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे
साध संगत बिना पाओ ना उपजाए,पाव बिन भगत नही कोई तेरे
कह रवि दस एक बीँती हेर स्यो,पहज रखो राजा राम मेरे
कह रवि दस एक बीँती हेर स्यो,पहज रखो राजा राम मेरे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे,
चिर्र पयो दर्सन देखे, चिर्र पयो दर्सन देखे
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
हम सर दीन द्याल ना तुमसर्र,अब पतियार क्या कीजे
हम सर दीन द्याल ना तुमसर्र,अब पतियार क्या कीजे
व्चनि तोड़ मोर मन माने,जन को पूरण दीजे,जन को पूरण दीजे
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
हूउ बल बल जाओ ऊ,रमिया कारने,कारण कबन ना अबूल
हूउ बल बल जाओ ऊ,रमिया कारने,कारण कबन ना अबूल
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे
मेरे प्रीत गोबिंद सो जन घाटे,मई तो मोल महँगी लाए जी सतह
साध संगत बिना पाओ ना उपजाए,पाव बिन भगत नही कोई तेरे
चित सिमरन को नैन अवलोक्नो,सरवन बानी सो जस्स पूरा राखो
मन सो मढ़ कर केरो चरण हृद्या तारो
रसन्न् अमृत राम नाम पाकू
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे
साध संगत बिना पाओ ना उपजाए,पाव बिन भगत नही कोई तेरे
कह रवि दस एक बीँती हेर स्यो,पहज रखो राजा राम मेरे
कह रवि दस एक बीँती हेर स्यो,पहज रखो राजा राम मेरे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे,
चिर्र पयो दर्सन देखे, चिर्र पयो दर्सन देखे
Bhai Nirmal Singh Khalsa, Bahut Janam Vichhre. Record by Amrik Singh Carteret NJ.
Bahut Janam Vichhre, Bhai Nirmal Singh Khalsa Hazori Ragi Darbar Sahib at Gurdwara Dashmesh Darbar Carteret, New Jersey. Record & Edited by Amrik Singh .Bhai Nirmal Singh Khalsa has become the first hazoori raagi of the Golden Temple to get Padma Shri award
Bahut Janam Vichhre, Bhai Nirmal Singh Khalsa Hazori Ragi Darbar Sahib at Gurdwara Dashmesh Darbar Carteret, New Jersey. Record & Edited by Amrik Singh .Bhai Nirmal Singh Khalsa has become the first hazoori raagi of the Golden Temple to get Padma Shri award
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