सजा दो घर को ग़ुलशन सा मेरे सरकार आये हैं-राज पारीक Saja Do Ghar Ko Gulshan Sa Avadh Lyrics

सजा दो घर को ग़ुलशन सा मेरे सरकार आये हैं-राज पारीक Saja Do Ghar Ko Gulshan Sa Avadh Me Ram Aaye Hain Lyrics-Raj Pareek

सजा दो घर को ग़ुलशन सा,
मेरे सरकार आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे सरकार आये हैं,

पखारो इनके चरणों को,
बहाकर प्रेम की गंगा,
बहाकर प्रेम की गंगा,
बिछा दो अपनी पलकों को,
मेरे सरकार आये हैं,
सजा दो घर को गुलशन सा,
मेरे सरकार आये हैं,

सरकार आ गए मेरे ग़रीबख़ाने में,
आया है दिल को सकूंन,
उनके करीब आने में,
मुद्द्त से प्यासी अँखियों को,
मिला आज मुसाफिर,
भटका था जिसको पाने की खातिर,
इस जमाने में,

उमड़ आई मेरी आँखें,
देख कर अपने बाबा को,
हुई रौशन मेरी गलियां,
मेरे सरकार आएं हैं,
सजा दो घर को ग़ुलशन सा,
मेरे सरकार आये हैं,

तुम आकर फिर नहीं जाना,
मेरी इस सूनी दुनियाँ से,
कहूँ हरदम यही सबसे,
मेरे सरकार आएं हैं,
सजा दो घर को ग़ुलशन सा,
मेरे सरकार आये हैं,
सजा दो घर को ग़ुलशन सा,
मेरे सरकार आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
मेरे सरकार आये हैं,
 

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