भोले मैं आया तेरे द्वार लेकर उम्मीदें हज़ार
भोले मैं आया तेरे द्वार लेकर उम्मीदें हज़ार शिव भजन
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
भोले मैं आया तेरे द्वार,
लेकर उम्मीदें हज़ार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
ना है पूजा की थाल
ना है फूलो का हार
हृदय की कलियाँ है बेल पाती
जल की धारा अँखियाँ बरसाती
पूजा यह कर स्वीकार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
है आस तुझसे है विश्वास तुझपे
तुझसा दया का ना है कोई दानी
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
है सत्य तू ही
है शिव तू ही सुन्दर
यह सारी दुनिया तो है आनी जानी
दुःख और चिन्ता की अगन जलाए
बर्फ तेरी चौखट की बस मिल जाए
शीतलता पाऊँ अपार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
भोले बम बम भोले
पीके ज़हर तूने दुनिया बचाई
जग सारा जाने है तेरी कहानी
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
यूँ ही नहीं तुझको केहते है भोला
हर दिल की पीड़ा को तूने ही जानी
या तो ज़हर मुझे पीना सिखा दे
या दर्द दिल के यह सारे मिटा दे
सुन ले ह्रदय की पुकार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
मेरा ह्रदय हर पल तुझको पूजे
शिव शिव की धुन मेरे अन्तर में गूँजे
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
सुख हो या दुख हो कोई भी घड़ी हो
शिव के सिवा मन को कुछ भी न सूझे
में तन हूँ मन हूँ मैं आत्मा हूँ
तू सत अनन्त तू परमात्मा है
दे दे शरण एक बार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
भोले बम बम भोले
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
भोले मैं आया तेरे द्वार,
लेकर उम्मीदें हज़ार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
ना है पूजा की थाल
ना है फूलो का हार
हृदय की कलियाँ है बेल पाती
जल की धारा अँखियाँ बरसाती
पूजा यह कर स्वीकार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
है आस तुझसे है विश्वास तुझपे
तुझसा दया का ना है कोई दानी
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
है सत्य तू ही
है शिव तू ही सुन्दर
यह सारी दुनिया तो है आनी जानी
दुःख और चिन्ता की अगन जलाए
बर्फ तेरी चौखट की बस मिल जाए
शीतलता पाऊँ अपार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
भोले बम बम भोले
पीके ज़हर तूने दुनिया बचाई
जग सारा जाने है तेरी कहानी
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
यूँ ही नहीं तुझको केहते है भोला
हर दिल की पीड़ा को तूने ही जानी
या तो ज़हर मुझे पीना सिखा दे
या दर्द दिल के यह सारे मिटा दे
सुन ले ह्रदय की पुकार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
मेरा ह्रदय हर पल तुझको पूजे
शिव शिव की धुन मेरे अन्तर में गूँजे
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
सुख हो या दुख हो कोई भी घड़ी हो
शिव के सिवा मन को कुछ भी न सूझे
में तन हूँ मन हूँ मैं आत्मा हूँ
तू सत अनन्त तू परमात्मा है
दे दे शरण एक बार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
भोले मैं आया तेरे द्वार
लेकर उम्मीदें हज़ार
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
भोले बम बम भोले
Music Director: Navin-Manish
Lyrics: Manish Tripathi
Song Programming: Sandeep Mitra (Suman)
Tabla & Percussions: Shreedhar Chari
Dholak: Shashikant Sharma & Dharmveer Saroj
Flute: Vijay Tambi
Sitar: Umashankar Shukla
Mendoline: Dinesh Bhosale
Music Label: Music Nova
भोलेनाथ के द्वार पर आने वाला यह मन किसी बाहरी आडंबर या वस्तु की चाह नहीं रखता। उसके पास न पूजा की थाली है, न फूलों का हार — क्योंकि उसके लिए सबसे बड़ा मंदिर तो उसका अपना हृदय ही है। वहाँ भक्ति के फूल खिले हैं, और उसकी आँखों से जो आँसू बहते हैं, वही सच्चा अर्घ्य बन जाते हैं। ऐसी भक्ति में किसी विधि-विधान की ज़रूरत नहीं होती, बस सच्चे भाव की होती है। यही भाव भगवान तक सबसे जल्दी पहुँचता है।
भोलेनाथ दया के सागर हैं, जो बिना भेदभाव हर भक्त पर कृपा करते हैं। संसार के सुख-दुःख तो आते-जाते रहते हैं, पर शिव ही वह शाश्वत सत्य हैं, जिनके नाम से हर चिंता दूर हो जाती है। जब मन थक जाता है, तब वही तो हैं जिनकी शरण में बैठकर आत्मा को शांति और ठंडक मिलती है — जैसे जलती हुई आत्मा पर हिम की परत पड़ जाए।
शिव ने जब संसार की रक्षा के लिए विष पिया था, तब उन्होंने सिखाया था कि सच्चा प्रेम और बलिदान वही है, जो दूसरों के दुःख को अपने भीतर समा ले। यही भाव हमें जीवन की कठिनाइयों में संबल देता है — कि जब भी जीवन का विष हमें जलाने लगे, तो हम शिव से ही प्रार्थना करें, “या तो यह विष सहने की शक्ति दे दो, या दिल का यह दर्द मिटा दो।” यह प्रार्थना शब्दों से नहीं, आत्मा से निकलती है — यह उस मनुष्य की पुकार है जो पूरी तरह भगवान पर भरोसा कर चुका है।
भोलेनाथ दया के सागर हैं, जो बिना भेदभाव हर भक्त पर कृपा करते हैं। संसार के सुख-दुःख तो आते-जाते रहते हैं, पर शिव ही वह शाश्वत सत्य हैं, जिनके नाम से हर चिंता दूर हो जाती है। जब मन थक जाता है, तब वही तो हैं जिनकी शरण में बैठकर आत्मा को शांति और ठंडक मिलती है — जैसे जलती हुई आत्मा पर हिम की परत पड़ जाए।
शिव ने जब संसार की रक्षा के लिए विष पिया था, तब उन्होंने सिखाया था कि सच्चा प्रेम और बलिदान वही है, जो दूसरों के दुःख को अपने भीतर समा ले। यही भाव हमें जीवन की कठिनाइयों में संबल देता है — कि जब भी जीवन का विष हमें जलाने लगे, तो हम शिव से ही प्रार्थना करें, “या तो यह विष सहने की शक्ति दे दो, या दिल का यह दर्द मिटा दो।” यह प्रार्थना शब्दों से नहीं, आत्मा से निकलती है — यह उस मनुष्य की पुकार है जो पूरी तरह भगवान पर भरोसा कर चुका है।
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Author - Saroj Jangir
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