बैठी पहाड़ों में माँ शारदा, तेरी महिमा का क्या कहना, है भवन हजारों में।
लाल ध्वजा आल्हा उदल लहराए, लाल चुनरिया मन को लुभाए, लाल लाल चूड़ियां माँ को भाए,
लाल लाल फूलों की माला लुभाए, सोला सृंगारों में माँ शारदा, तेरी मूरत का क्या कहना, तेरी सूरत हज़ारों में।
ऊँची ऊँची सीढ़ियां लम्बा लम्बा रस्ता, माँ के दर्शन को मन है तरसता, अम्बर में उड़ता है उड़न खटोला, लाये ले जाये भक्तों का टोला, रंग बहारों में माँ शारदा,
Saraswati Mata Bhajan
रंग बहारों में मेरी नज़र नहीं हटती, आनंद हजारों में।
विद्या की देवी माँ तुम वीणापानी, महिमा तुम्हारी है विष्णु बखानी, कंठ बिराजो माँ स्वर महारानी, करुणा मयी माँ जग कल्याणी, कर दो कृपा मेरी माँ, आये हैं शरण तेरी, तेरे भक्त हजारों में,
हम भक्त हजारों में।
बैठी पहाड़ों में माँ शारदा, तेरी महिमा का क्या कहना, है भवन हजारों में।