
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
म्हारा सांवरिया जी सेठ,
जाने कहाँ हो गयो लेट,
क्यों नी आयो रे,
क्यों नहीं आयो रे,
ओ कान्हा रे, कान्हां रे,
कान्हाँ रे, कान्हा रे।
थारा ही भरोसे मैं तो,
आयो म्हारा नाथ जी,
कोड़ी कोणी पास म्हारे,
कैसे करूँ भात जी,
जो तू भांत भरण नहीं आयो,
म्हारी हाँसी नगर उड़ायो,
क्यों नी आयो रे,
क्यों नहीं आयो रे,
ओ कान्हा रे, कान्हां रे,
कान्हाँ रे, कान्हा रे।
और ना रुलाओ रे,
जल्दी आओ सेठ सांवरिया,
देर ना लगाओ रे,
राखो राखो लाज,
म्हारा त्रिलोकी रा नाथ,
क्यों नी आयो रे,
क्यूँ नहीं आयो रे,
बीरा रे, बीरा रे,
ओ बीरा रे, बीरा रे।
नरसी की विनती सुण आयो,
त्रिलोकी रो नाथ जी,
भक्त वृन्द की तो राखी,
वाने घणी लाज,
नरसी नैनां नीर बहायो,
नरसी देख देख हर्षायो,
क्यों नी आयो रे,
क्यूँ नहीं आयो रे,
ओ कान्हा रे, कान्हां रे,
कान्हाँ रे, कान्हा रे।
म्हारा सांवरिया जी सेठ,
जाने कहाँ हो गयो लेट,
क्यों नी आयो रे,
क्यों नहीं आयो रे,
ओ कान्हा रे, कान्हां रे,
कान्हाँ रे, कान्हा रे।
भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)
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Author - Saroj Jangir
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