माला साई की मै जपती जाऊ

माला साई की मै जपती जाऊ

(मुखड़ा)

होंठों पे सबके है मेरे साईं का तराना,
चौखट पे साईं बाबा के झुकता है ज़माना।
ब्रह्मांड नायक सद्गुरु, मेरे साईं बाबा का,
कोई बना है भक्त और है कोई दीवाना।
(अंतरा 1)

साईं बाबा को दिल में बसाऊँ,
माला साईं की मैं जपती जाऊँ।
उनके चरणों में सिर को झुकाऊँ,
माला साईं की मैं जपती जाऊँ...
(अंतरा 2)

साईं बाबा का फ़रमान है,
सबका मालिक निगेहबान है।
साईं से मेरी पहचान है,
मुझ पर साईं का एहसान है।
साईं बाबा को चादर चढ़ाऊँ,
माला साईं की मैं जपती जाऊँ,
उनके चरणों में सिर को झुकाऊँ,
माला साईं की मैं जपती जाऊँ...
(अंतरा 3)

मैं तो साईं की दीवानी हूँ,
वो है शम्मा, मैं परवानी हूँ।
कहती है दुनिया पागल मुझे,
मैं तो साईं की मस्तानी हूँ।
साईं बाबा की धूनी रमाऊँ,
माला साईं की मैं जपती जाऊँ,
उनके चरणों में सिर को झुकाऊँ,
माला साईं की मैं जपती जाऊँ...
(अंतरा 4)

साईं तू ही है दाता मेरा,
मैं लगाता हूँ दर का फेरा।
हम पर कर दो आज करम,
नाम लेता है बस ये तेरा।
तेरा गुणगान जग को सुनाऊँ,
माला साईं की मैं जपती जाऊँ,
उनके चरणों में सिर को झुकाऊँ,
माला साईं की मैं जपती जाऊँ...


Sai Bhajan | Sai Baba Ko Dil Me Basau | साईं बाबा को दिल में बसाऊ | Pooja Golhani | HD Video Song

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Song - Sai Baba Ko Dil Me Basau
Singer - Pooja Golhani 9893153872
Lyricist - Hemant sufi
Music - Sachin Upadhyay
Studio - Sachin Studio
DOP - Mohan Sahu
Editor - Madhu Barle
 
प्रभु की महिमा का तराना हर भक्त के होंठों पर गूंजता है, और उनकी कृपा का आलम ऐसा है कि सारा जमाना उनके चरणों में नतमस्तक हो जाता है। वह ब्रह्मांड के नायक और सद्गुरु हैं, जिनके प्रति कुछ भक्त अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं, तो कुछ उनके प्रेम में दीवाने बन जाते हैं। यह भक्ति का वह भाव है, जो भक्त के हृदय को प्रभु के नाम की माला जपने में लीन कर देता है और उसे उनके चरणों में सदा झुकने की प्रेरणा देता है। उनकी कृपा की छाया में भक्त का जीवन एक पवित्र यज्ञ बन जाता है, जहाँ हर सांस उनकी महिमा और प्रेम से संनादित होती है।

प्रभु का नाम जपना और उनके प्रति पूर्ण समर्पण भक्त को एक ऐसी मस्ती में डुबो देता है, जो उसे सांसारिक बंधनों से मुक्त कर देती है। वह स्वयं को प्रभु की शम्मा का परवाना मानता है, और उनकी धुनी में रमकर अपने जीवन को उनकी कृपा से आलोकित करता है। प्रभु का फरमान कि वह सबके मालिक और रक्षक हैं, भक्त के हृदय में अटूट विश्वास जगाता है, और उसे यह अनुभव कराता है कि उसका हर कदम, हर कार्य उनकी कृपा का ही अहसान है। यह भक्ति की वह धारा है, जो भक्त को प्रभु के गुणगान को सारे जगत में फैलाने की प्रेरणा देती है, और उसका जीवन उनकी कृपा से सदा पवित्र और सार्थक रहता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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