मैं रम गया तेरी काशी में
मैं रम गया तेरी काशी में
मैं रम गया, तेरी काशी में,मैं रम गया, तेरी काशी में,
मन साधु हुआ, मन साधु हुआ,
बन गया सन्यासी मैं,
मैं रम गया तेरी काशी में,
मैं रम गया तेरी काशी में।
जो आनंद है तेरे घाटों में,
माथा झुकता है, काशी कपाटो में,
वेरागी हुआ, वेरागी हुआ,
जो प्रीत लगी अविनाशी में,
मैं रम गया तेरी काशी में,
मैं रम गया तेरी काशी में,
मन साधु हुआ, मन साधु हुआ,
बन गया सन्यासी मैं,
मैं रम गया तेरी काशी में।
छोड़े महल, ये रेशमी धागो के,
नींदे मीठी हैं, गंगा के घाटों में,
मल्हारी हुआ, मल्हारी हुआ,
मैं रम गया चौरासी में,
मैं रम गया तेरी काशी में,
मैं रम गया तेरी काशी में,
मन साधु हुआ, मन साधु हुआ,
बन गया सन्यासी मैं,
मैं रम गया तेरी काशी में।
मैं रम गया, तेरी काशी में,
मैं रम गया, तेरी काशी में,
मन साधु हुआ, मन साधु हुआ,
बन गया सन्यासी मैं,
मैं रम गया तेरी काशी में,
मैं रम गया तेरी काशी में।
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KASHI | Abhishek Bisht | Laman | Shiv Bhajan 2022