कहता हूँ गर्व से मैं भजन
क़लम कार है वो ऐसा,
जो आँखें मींच लिखता है,
क़िस्मत में जो ना हो,
वो वही चीज लिखता है,
जिन्हे मिलती हैं ठोकर,
जहाँ के लोगों से,
उन्हें मेरा श्याम अपना,
दिल अज़ीज लिखता है।
कहता हूँ गर्व से मैं,
कहता हूँ शान से,
क़िस्मत में जो नहीं था,
वो पाया है श्याम से,
क़िस्मत में जो नहीं था,
वो पाया है श्याम से।
हाथों से लिख दी श्याम ने,
खुद जिसकी दास्ताँ,
जीवन सफ़र में उसका फिर,
कोई रोके ना रास्ता,
मंज़िल भी मिल रही है,
कितने आराम से,
क़िस्मत में जो नहीं था,
वो पाया है श्याम से।
ना ही अहम है धन का,
ना रुतबे का है गुरुर,
फिर भी जमाना कह रहा,
मुझपे चढ़ा सुरूर,
ये बेखुदी है मुझको,
भजनों के जाम से,
क़िस्मत में जो नहीं था,
वो पाया है श्याम से।
ना जानू मैं कला कोई,
ना मुझमे है हुनर,
सब खेल मेरे श्याम के,
सब इसका ही असर,
सोनू ना अपने दम से,
ना अपने काम से,
क़िस्मत में जो नहीं था,
वो पाया है श्याम से।
कहता हूँ गर्व से मैं,
कहता हूँ शान से,
क़िस्मत में जो नहीं था,
वो पाया है श्याम से,
क़िस्मत में जो नहीं था,
वो पाया है श्याम से।
Paya Hai Shyam Se | केहता हूँ गर्व से मैं | Sheetal Pandey | New Year Shyam Bhajan @ArdaasBhakti