हे दुर्गे माँ भगवती हूँ तुम्हारी शरण
हे दुर्गे माँ भगवती हूँ तुम्हारी शरण
(मुखड़ा)
हे दुर्गे माँ भगवती,
हूँ तुम्हारी शरण,
हे भैरवी माँ सती,
हूँ तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण।।
मेरा कोई और नहीं है,
आया दरबार हूँ मैं,
सहारा दीजिए मैया,
कि अब लाचार हूँ मैं।।
(अंतरा)
सदा भक्तों का मैया,
तूने है उद्धार किया,
महिषासुर, मधु, कैटभ,
का भी संहार किया,
लाल हूँ आपका,
मैं भी तो ऐ मैया,
मुसीबत आई तो,
मैंने तुझे पुकार लिया,
हूँ तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण।।
सदा दरबार में एक भीड़,
भक्तों की लगी देखी,
हर एक भगत की झोली,
आपके दर से मैया भरी देखी,
कोई लौटा नहीं खाली,
तुम्हारे द्वार पे आके,
तेरी चौखट पे करामात,
बड़ी हमने है देखी।।
तेरी महिमा का, जगतजननी,
क्या बखान करूँ,
नहीं लायक हूँ इसके,
मैं तुम्हारा ध्यान धरूँ,
तुम्हारे द्वार पे,
मैया, तुम्हारी चौखट पे,
तेरे चरणों में, बार-बार,
मैं प्रणाम करूँ,
हूँ तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण।।
(पुनरावृत्ति)
हे दुर्गे माँ भगवती,
हूँ तुम्हारी शरण,
हे भैरवी माँ सती,
हूँ तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण।।
हे दुर्गे माँ भगवती,
हूँ तुम्हारी शरण,
हे भैरवी माँ सती,
हूँ तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण।।
मेरा कोई और नहीं है,
आया दरबार हूँ मैं,
सहारा दीजिए मैया,
कि अब लाचार हूँ मैं।।
(अंतरा)
सदा भक्तों का मैया,
तूने है उद्धार किया,
महिषासुर, मधु, कैटभ,
का भी संहार किया,
लाल हूँ आपका,
मैं भी तो ऐ मैया,
मुसीबत आई तो,
मैंने तुझे पुकार लिया,
हूँ तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण।।
सदा दरबार में एक भीड़,
भक्तों की लगी देखी,
हर एक भगत की झोली,
आपके दर से मैया भरी देखी,
कोई लौटा नहीं खाली,
तुम्हारे द्वार पे आके,
तेरी चौखट पे करामात,
बड़ी हमने है देखी।।
तेरी महिमा का, जगतजननी,
क्या बखान करूँ,
नहीं लायक हूँ इसके,
मैं तुम्हारा ध्यान धरूँ,
तुम्हारे द्वार पे,
मैया, तुम्हारी चौखट पे,
तेरे चरणों में, बार-बार,
मैं प्रणाम करूँ,
हूँ तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण।।
(पुनरावृत्ति)
हे दुर्गे माँ भगवती,
हूँ तुम्हारी शरण,
हे भैरवी माँ सती,
हूँ तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण,
शरण, तुम्हारी शरण।।
दुर्गे माँ तेरी शरण Durge Maa Teri Sharan | Devi Bhajan | BRIJRAJ SINGH LAKKHA | Audio