पाठयेम संस्कृतं जगति सर्वमानवान लिरिक्स

पाठयेम संस्कृतं जगति सर्वमानवान लिरिक्स

पाठयेम संस्कृतं,
जगति सर्वमानवान,
प्रापयेम भारतं,
सपदि परमवैभवम।

व्यक्तियोजकत्वमेव,
नायकत्वलक्षणम,
धर्मसेवकत्वमेव,
शास्त्रतत्त्वचिन्तनम।

स्नेह शक्ति शील,
शौर्य देशभक्ति भूषितम,
साधयेम शीघ्रमेव,
कार्यकर्तृमण्डलम।

हिन्दुबन्धुमेलनेन,
सर्वदोषनाशनम,
उच्चनीचजातिराज्य,
भेदभाववारणम,
सामरस्यरक्षणेन,
शान्तिपूर्णजीवनम,
कालयोग्यमेतदेव,
मोक्षदायिदर्शनम।

जीवनस्य कार्यमेव,
राष्ट्रकर्मसाधना,
सङ्घशक्तिवर्धनाय,
दिव्यभव्ययोजना,
व्यक्तिरस्तु वर्तिकेति,
मामकीनभावना,
साधितास्तु माधवस्य,
विश्वविजयकामना।


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