सतगुरु ने चादर धोई रे भजन
सतगुरु ने चादर धोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रै,
जेको भेद नी जान्यो कोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रै।
बिना सोडो और बिना साबुन से,
जेने बिना नीर से धोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रै।
ढाई बरष की झोट कुंवारी,
जेने बिना ब्याही खे दुही रे,
सतगुरु ने चादर धोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रै।
बिना दीपक और बिना दिवला से,
जेने जोत में जोत जलाई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रै।
कहे जन दल्लू सुनो रे भाई साधु,
गुरु ने धरम धजा लहराई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रै।
सतगुरु ने चादर धोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रै,
जेको भेद नी जान्यो कोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रे,
सतगुरु ने चादर धोई रै।
लोक गीत श्रेणी : लोकगीत Lokgeet/Folk Song