आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड, आज जंग की घड़ी, की तुम गुहार दो।
आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड, आज जंग की घड़ी, की तुम गुहार दो, आन बान शान या, कि जान का हो दान, आज एक धनुष के, बाण पे उतार दो।
मन करे सरो प्राण दे, जो मन करे सर प्राण ले, वो ही तो एक, सर्वशक्तिमान है मन करे सरो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले, वो ही तो एक, सर्वशक्तिमान है।
कृष्ण की पुकार है, ये भागवत का सार है, कि युद्ध ही तो, वीर का प्रमाण है, कौरवों की भीड़ हो या, पांडवों का नीड़ हो, जो लड़ सका है, वो ही तो महान है।
जीत की हवस नहीं, किसी पे कोई वश नहीं, क्या ज़िन्दगी है, ठोकरों पे मार दो, मौत अंत है नहीं, तो मौत से भी क्यूँ डरें, ये जाके आसमान में, दहाड़ दो।
आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड, आज जंग की घड़ी, की तुम गुहार दो, आन बान शान या, कि जान का हो दान, आज एक धनुष के, बाण पे उतार दो।
वो दया भाव या, कि शौर्य का चुनाव, या कि हार का वो, घाव तुम ये सोच लो, वो दया भाव या, कि शौर्य का चुनाव, या कि हार का वो, घाव तुम ये सोच लो, या की पुरे भाल पे, जला रहे विजय का छाल, लाल यह गुलाल, तुम ये सोच लो, रंग केशरी हो या, मृदंग केशरी हो, या कि केशरी हो, ताल तुम ये सोच लो।
जिस कवि की कल्पना में, ज़िन्दगी हो प्रेम गीत, उम्र कवि को आज तुम, नकार दो, भीगती मासों में आज, फूलती रणों में आज, आग की लपट का, तुम बघार दो।
आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड, आज जंग की घड़ी, की तुम गुहार दो, आन बान शान या, कि जान का हो दान, आज एक धनुष के, बाण पे उतार दो।
आरंभ है प्रचंड, आरंभ है प्रचंड, आरंभ है प्रचंड, आरंभ है प्रचंड।
AARAMBH
Provided to YouTube by Tseries Music AARAMBH · PIYUSH MISHRA GULAAL