चुनरी ओढाऊ तनै लाख की राणीसती भजन

चुनरी ओढाऊ तनै लाख की राणीसती भजन

(मुखड़ा)
गर जोर मेरो चालै,
चुनरी ओढ़ाऊँ तनै लाख की,
के करां पर दादी कोन्या,
बात या मेरे हाथ की।।

(अंतरा)
रतन जड़ित सिंहासन बैठा,
महारानी सा लागो,
सारी दुनिया माहीं दादी,
थैं क्षत्राणी बाजो,
लाखों की चुनरी थारै पर,
मैया चोखी लाग सी,
गर जोर मेरो चालै,
चुनरी ओढ़ाऊँ तनै लाख की।।

छत्र सोहे सोने का सिर पर,
गले नौलखा हार है,
हीरे की नथनी-कुंडल को,
गजब हुयो सिंगार है,
कईयाँ लाऊँ हल्की चुनर,
बोलो दादी, आपकी?
गर जोर मेरो चालै,
चुनरी ओढ़ाऊँ तनै लाख की।।

एक से बढ़कर एक भगत,
माँ तेरे द्वारे आवै हैं,
चाँद सितारों जड़ी चुनरी,
थांनै लाए उड़ावै हैं,
देखूँ जब खुद की चुनर नै,
आवै मन में लाज सी,
गर जोर मेरो चालै,
चुनरी ओढ़ाऊँ तनै लाख की।।

थारो हाथ रहे जो सिर पर,
जल्दी वह दिन आवैगो,
भगत थाने लक्खा की माँ,
चुनर लाय ओढ़ावै लो,
सच्ची बोलूँ तो मैया जी,
भूखी भक्ति-भाव की,
गर जोर मेरो चालै,
चुनरी ओढ़ाऊँ तनै लाख की।।

(पुनरावृति)
गर जोर मेरो चालै,
चुनरी ओढ़ाऊँ तनै लाख की,
के करां पर दादी कोन्या,
बात या मेरे हाथ की।।
 


Gar Jor Mero Chale | Chunri Lakh Li
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