शंकर दयालु दूसरा तुमसे कोई नहीं लिरिक्स Shankar Dayalu Dusara Lyrics
शंकर दयालु दूसरा तुमसे कोई नहीं लिरिक्स Shankar Dayalu Dusara Lyrics
शंकर दयालु दूसरा,तुमसा कोई नहीं,
देने से पहले तू जरा,
क्यों सोचता नहीं,
शंकर दयालु दुसरा,
तुमसा कोई नहीं।
भस्मासुर ने भक्ति से,
तुझको रिझा लिया,
वरदान भस्म करने का,
दानव ने पा लिया,
तुझको ही भस्म करने की,
पापी ने ठान ली,
देने से पहले तू जरा,
क्यों सोचता नहीं,
शंकर दयालु दुसरा,
तुमसा कोई नहीं।
गिरिजा की जिद पे था बना,
सोने का वो महल,
मुहुर्त कराने आया था,
रावण पिता के संग,
सोने की लंका दुष्ट की,
झोली में डाल दी,
देने से पहले तू जरा,
क्यों सोचता नहीं,
शंकर दयालु दुसरा,
तुमसा कोई नहीं।
मंथन की गाथा क्या कहे,
क्या क्या नहीं हुआ,
अमृत पिलाया देवों को,
और विष तू पी गया,
देवों का देव हर्ष तू,
दुनिया ये जानती,
देने से पहले तू जरा,
क्यों सोचता नहीं,
शंकर दयालु दुसरा,
तुमसा कोई नहीं।
शंकर दयालु दूसरा,
तुमसा कोई नहीं,
देने से पहले तू जरा,
क्यों सोचता नहीं,
शंकर दयालु दुसरा,
तुमसा कोई नहीं।