मैया भुवना तुम्हार आल्हा ने झंडा गड़ा दये

मैया भुवना तुम्हार आल्हा ने झंडा गड़ा दये

(मुखड़ा)
मैया भुवना तुम्हार,
मैया भुवना तुम्हार,
आल्हा ने झंडा गड़ा दये।।

(अंतरा)
नौ दिन मैया की ज्योति जलाई,
नारियल, निबुआ की भेंटे चढ़ाई,
हमरी सुनियो पुकार,
हमरी सुनियो पुकार,
आल्हा ने झंडा गड़ा दये।।

लाल टिक्की, लाल महावर चढ़ा रहे,
गोटा जड़ी, लाल चुनरी उड़ा रहे,
माँ को कर दयो सिंगार,
माँ को कर दयो सिंगार,
आल्हा ने झंडा गड़ा दये।।

चंपा, चमेली के हार बनाए,
हलुआ-पूड़ी के भोग लगाए,
माई करियो स्वीकार,
माई करियो स्वीकार,
आल्हा ने झंडा गड़ा दये।।

शिव-शंकर तेरो ध्यान लगाए,
ब्रह्मा-विष्णु भेद न पाए,
माँ की महिमा अपार,
माँ की महिमा अपार,
आल्हा ने झंडा गड़ा दये।।

तीन लोक, चौदह भुवनों में,
शीश धरे, तुम्हरे चरणों में,
खूब हो रही जयकार,
खूब हो रही जयकार,
आल्हा ने झंडा गड़ा दये।।

मेहर करो माँ मैहर वाली,
‘पद्म’ खड़ो है द्वारे सवाली,
दरश दे दो एक बार,
दरश दे दो एक बार,
आल्हा ने झंडा गड़ा दये।।

(पुनरावृति)
मैया भुवना तुम्हार,
मैया भुवना तुम्हार,
आल्हा ने झंडा गड़ा दये।।
 


maiya bhuwna tumhar,maiya bhuwna tumhar
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