वेदी का अंगारा लिरिक्स Vedi Ka Angara Lyrics
वेदी का अंगारा लिरिक्स Vedi Ka Angara Lyrics
सिंहासन पार वह विराजमान,उसके वस्त्र के घेर से,
मन्दिर में है शान,
उढ़ उढ़कर गाते सराफ़,
पवित्र यहोवा तू है सर्वदा।
भय भक्ति के मैं,
साथ आ रहा तेरे पास,
तेरे इच्छा मुझमें पूरी होवे,
तन मन धन और,
घुटना टेक रहा हूँ अपना,
तेरे प्यार के चादर से,
मुझे ओढ़ ले।
वेदी का अंगारा मेरी ओर,
ला मेरे होंठ को छू,
कर मेरे अधर्म मेरे पाप,
क्षमा मुझे कर क़बूल।
सूर्य समान मुख,
उसका है प्रकाश,
प्रथम और अन्तिम,
जीवता उसका है राज,
मृत्यु की कुंजी है,
उसके पास,
उसके मुख से निकलती,
दोधारी तलवार।