कह रही ब्रज सखियां लिरिक्स Kah Rahi Brij Sakhiya Lyrics
कह रही ब्रज सखियां लिरिक्स Kah Rahi Brij Sakhiya Lyrics
उधो जी जाके पैरों में,कभी लागे ना कंकरिया,
क्या जाने पीर पराई,
यह कह रही बृज सखियां,
दुखी हुए सब बृज नर नारी,
दुखी हुई उनकी महतारी।
नंद बाबा की गौशाला में,
रोए रही गैया,
क्या जाने पीर पराई,
यह कह रही बृज सखियां।
जमुना तट भी सूना पड़ा है,
पेड़ कदम का उदास खड़ा है,
श्याम दरस को तरस रहे हैं,
सब होकर बावरिया,
क्या जाने पीर पराई,
यह कह रही बृज सखियां।
लता पता सब सुख रही हैं,
निधिवन कलियां पूछ रही हैं,
कुकू कह के कूक रही है,
बन के कोयलिया,
क्या जाने पीर पराई,
यह कह रही बृज सखियां।
ब्रह्म ज्ञान ना हमें समझाओ,
योग ध्यान में ना हमें उलझाओ,
प्रेम हमारा ही है पूजा,
कब आयेगा वह छलिया,
क्या जाने पीर पराई,
यह कह रही बृज सखियां।
रोम रोम में वही बसा है,
इन नैनन में वही छुपा है,
धड़कन बन वो धड़क रहा है,
हर सांस में कन्हैया,
क्या जाने पीर पराई,
यह कह रही बृज सखियां।