ऐसी चुनरी तू रंग दे ओ रंगले माँ
लहर लहर लहरा गई रे मेरी माँ की चुनरियाँ भजन
(मुखड़ा)
ऐसी चुनरी तू रंग दे, ओ रंगले,
माँ को ओढ़ाऊँ, शीश झुकाकर,
तेरे नाम की भी मैं अर्ज करूँगा,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
(अंतरा)
एक तरफ शंकर जी हो,
संग में हो पार्वती जी,
एक तरफ रिद्धि-सिद्धि,
संग गणेश जी भी।
देते हो आशीष सभी को,
मूरत ऐसी बनाना,
तू मूरत ऐसी बनाना।
होता नहीं है अब इंतजार,
अच्छी सी चुनरी,
तू देना सजाकर,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
एक तरफ राम जी हो,
संग में हो सीता मैया,
एक तरफ चँवर ढुलाते,
खड़े हो लक्ष्मण भैया।
गदा हाथ में लेकर संग में,
हनुमान को लाना,
तू हनुमान को लाना।
वन में खड़े हों सुंदर प्राणी,
फल-फूलों की डाल की बनाकर,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
एक तरफ कृष्ण कन्हैया,
संग में हो राधा प्यारी,
एक तरफ ग्वाल-बाल हों,
एक तरफ गोपियाँ सारी।
हाथ बांसुरी कान्हा के हो,
गव्वे चरती दिखाना,
तू गव्वे चरती दिखाना।
सबके मन को मोहते कन्हैया,
बंसी की प्यारी तान सुनाकर,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
ब्रह्मा, विष्णु के संग,
देव बैठे हों सारे,
‘पिंटू’ गुणगान माँ का,
करे लाके जयकारे।
अमन-चैन का देते हुए,
पैगाम सभी को दिखाना,
पैगाम सभी को दिखाना।
नर-नारी हो बैठे भवन में,
‘डाया’ सुनाए भजन ये गाकर,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
ऐसी चुनरी तू रंग दे, ओ रंगले,
माँ को ओढ़ाऊँ, शीश झुकाकर,
तेरे नाम की भी मैं अर्ज करूँगा,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
ऐसी चुनरी तू रंग दे, ओ रंगले,
माँ को ओढ़ाऊँ, शीश झुकाकर,
तेरे नाम की भी मैं अर्ज करूँगा,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
(अंतरा)
एक तरफ शंकर जी हो,
संग में हो पार्वती जी,
एक तरफ रिद्धि-सिद्धि,
संग गणेश जी भी।
देते हो आशीष सभी को,
मूरत ऐसी बनाना,
तू मूरत ऐसी बनाना।
होता नहीं है अब इंतजार,
अच्छी सी चुनरी,
तू देना सजाकर,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
एक तरफ राम जी हो,
संग में हो सीता मैया,
एक तरफ चँवर ढुलाते,
खड़े हो लक्ष्मण भैया।
गदा हाथ में लेकर संग में,
हनुमान को लाना,
तू हनुमान को लाना।
वन में खड़े हों सुंदर प्राणी,
फल-फूलों की डाल की बनाकर,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
एक तरफ कृष्ण कन्हैया,
संग में हो राधा प्यारी,
एक तरफ ग्वाल-बाल हों,
एक तरफ गोपियाँ सारी।
हाथ बांसुरी कान्हा के हो,
गव्वे चरती दिखाना,
तू गव्वे चरती दिखाना।
सबके मन को मोहते कन्हैया,
बंसी की प्यारी तान सुनाकर,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
ब्रह्मा, विष्णु के संग,
देव बैठे हों सारे,
‘पिंटू’ गुणगान माँ का,
करे लाके जयकारे।
अमन-चैन का देते हुए,
पैगाम सभी को दिखाना,
पैगाम सभी को दिखाना।
नर-नारी हो बैठे भवन में,
‘डाया’ सुनाए भजन ये गाकर,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
ऐसी चुनरी तू रंग दे, ओ रंगले,
माँ को ओढ़ाऊँ, शीश झुकाकर,
तेरे नाम की भी मैं अर्ज करूँगा,
माँ को मनाऊं, चुनड़ी उड़ाकर।।
चुनरी मईया की // नवरात्रा के दिन सुबह शाम जरुर सुने ये भजन / New Navrate Bhajan 2020 / SDN Music
Song :- चुनरी (Chunri)
Singer : Sunil Daya Namdev
Writer :- Surendar Pintu
Music :- BR Studio adampur
Mix & Mastering :- Naresh Sarsana