अब आजा रे मेरे कन्हैया


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अब आजा रे मेरे कन्हैया

अब आजा रे मेरे कन्हैया,
भवसागर पड़ी मेरी नैया,
अब आजा रे मेरे कन्हैया,
कहीं डूब ना जाऊं मझधार में,
मेरी नैया का बन जा खवैया।

बीच सभा में जब द्रौपदी ने,
तुमको टेर लगाई थी,
प्रेम के बंधन में बंध कर,
तूने बहन की लाज बचाई थी,
जब द्रौपदी ने तुमको पुकारा,
आया बहना का बन के तू भैया,
कहीं डूब ना जाऊं मझधार में,
मेरी नैया का बन जा खवैया।

सखा सुदामा से साँवरिया,
तूने निभायी थी यारी,
मीरा के विष के प्याले को,
अमृत कर दिया बनवारी,
नानी नरसी ने तुझको पुकारा,
आया आया तू बंशी बजैया,
कहीं डूब ना जाऊं मझधार में,
मेरी नैया का बन जा खवैया।

जरा सामने तो आ साँवरिया,
छुप छुप छलने में क्या राज है,
यूँ छुप ना सकेगा तू मोहन,
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है।

सौरभ मधुकर  हमने सुना है,
भगत बिना भगवान नहीं,
भावना के भूखे है भगवन,
कहते वेद पुराण यही,
आज मैंने भी तुझको पुकारा,
आके थाम ले मेरी तू बैयां,
कहीं डूब ना जाऊं मझधार में,
मेरी नैया का बन जा खवैया।

भवसागर पड़ी मेरी नैया,
अब आजा रे मेरे कन्हैया,
कहीं डूब ना जाऊं मझधार में,
मेरी नैया का बन जा खवैया।
 


अब आजा रे मेरे कन्हैया
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