गुरुजी के चरणों में रहना भजन
गुरुजी के चरणों में रहना भजन
गुरुजी के चरणों में , रहना भाई चेला थारे ,दुणी - दुणी ( नित कई ) वस्तु मिले रे ।
म्हारा साधु भाई , शून्य में सुमरणा सूरत से मिले रे ॥
सब घट नाम साधो एक है रे जी ।।
दई रणुकार थारी , नाभि से उठता, दई - दई डंको चढ़े रे,
नाभि पंथ साधो घणो रे दुहेलो, सब रंग पकड़ फिरे रे,
नाभिपंथ साधो , उल्टा घुमाले तो, मेरुदंड खुले रे,
मेरुदंड साधो पिछम का मारग, सीधी बाट धरो रे,
सब घट नाम साधो एक है रे जी।
बिना डंका से वां , झालर बाजे बाजे,
झिणी -झिणी आवाज़ सुनो रे,
घड़ियाल शंख बाँसुरी वीणा, अनहद नाद घुरे रे,
सब घट नाम साधो एक है रे जी।
दिन नहीं रैण , दिवस नहीं रजनी, नहीं वहाँ सूरज तपे रे,
गाजे न घोरे बिजली न चमके, अमृत बूंद झरे रे॥
बिन बस्ती का , देश अजब है, नहीं वहाँ काल फरे रे,
कहें कबीर सुनो भाई साधो, शीतल अंग करो रे,
सब घट नाम साधो एक है रे जी ।।
गुरुजी के चरणों मे रेणा | Guruji ke charno mein rena | Geeta Parag | Kabir bhajan 9669359081