मन में बसाकर तेरी मूर्ति

यह भजन एक भक्ति गीत है जिसमें भक्त भगवान की मूर्ति की आराधना करता है। भक्त भगवान से करुणा, कष्ट हरने, ज्ञान प्राप्ति और आशीर्वाद की प्रार्थना करता है। भक्त अपने जीवन को भगवान के समर्पण करता है और उनकी महिमा का गान करता है।


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मन में बसाकर तेरी मूर्ति

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारूं में गिरधर तेरी आरती॥

करुणा करो, कष्ट हरो, ज्ञान दो भगवान,
भव में फँसी नाव मेरी, तार दो भगवान।
करुणा करो, कष्ट हरो, ज्ञान दो भगवान,
भव में फँसी नाव मेरी, तार दो भगवान।
दर्द की दवा तुम्हारे पास है,
जीवन दया की है भीख मांगती।
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारूं में गिरधर तेरी आरती॥

मांगूँ तुझसे क्या, मैं यही सोचूं भगवान,
जीवन जब तेरे नाम कर दी अर्पण।
मांगूँ तुझसे क्या, मैं यही सोचूं भगवान,
जीवन जब तेरे नाम कर दी अर्पण।
सब कुछ तेरा, कुछ नहीं मेरा,
चिंता है तुझको, प्रभु संसार की।
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारूं में गिरधर तेरी आरती॥

वेद तेरी महिमा गाए, संत करें ध्यान,
नारद गुणगान करें, छेड़ें वीणा तान।
वेद तेरी महिमा गाए, संत करें ध्यान,
नारद गुणगान करें, छेड़ें वीणा तान।
भक्त तेरे द्वार करते हैं पुकार,
दास अनिरुद्ध तेरी गाए आरती।
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारूं में गिरधर तेरी आरती॥

मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारूं में गिरधर तेरी आरती॥
मन में बसाकर तेरी मूर्ति,
उतारूं में गिरधर तेरी आरती॥
 
यह भजन एक भक्ति गीत है जिसमें भक्त अपनी आराधना के भाव को व्यक्त करता है। इस भजन में भक्त भगवान की मूर्ति को अपने मन में स्थापित करने की विनती करता है और उनकी आरती का वर्णन करता है। वह भगवान से करुणा की प्रार्थना करता है, अपने कष्टों को हराने और ज्ञान का उपहार प्रदान करने की विनती करता है। भक्त कहता है कि उसके पास भगवान की दवा है और उसकी जीवनशैली दया की भीख के बराबर है। वह अपनी पूर्णता को भगवान के समर्पण करता है और कहता है कि सब कुछ भगवान का है, उसका कुछ नहीं है। भक्त भगवान की महिमा के गान करते हैं और उनकी पूजा करते हैं, जिसे संत और नारद भी करते हैं। यह भजन भक्ति और समर्पण की भावना को व्यक्त करता है।


Full HD Aarti | संपूर्ण आरती | मन में बसा कर तेरी मूर्ति | श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज
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