तू कर ले व्रत ग्यारस का भजन

तू कर ले व्रत ग्यारस का भजन

तेरी काया निर्मल हो जाएगी,
तू कर ले व्रत ग्यारस का,
तू कर ले व्रत ग्यारस का,
तू कर ले भजन हरि का,
तेरी काया निर्मल हो जाएगी,
तू कर ले व्रत ग्यारस का।

क्यों बेटा बेटा करता है,
यह बेटा साथ ना देता है,
बेटा बहुओं के हो जाएंगे,
तू कर ले व्रत ग्यारस का।

क्यों बहुएं बहुएं करता है,
यह बहुएं साथ ना देती हैं,
बहूऐ तो न्यारी हो जाएंगी,
तू कर ले व्रत ग्यारस का।

क्यों बेटी बेटी करता है,
यह बेटी साथ ना देती हैं,
बेटी ससुराल चली जाएंगी,
तू कर ले व्रत ग्यारस का।

क्यों पोती पोते करता है,
यह पोते साथ ना देते हैं,
पोते परदेस चले जाएंगे,
तू कर ले व्रत ग्यारस का।

क्यों मेरा मेरा करता है,
यहां पर कुछ भी नहीं तेरा है,
सब पड़ा यहीं पर रह जाएगा,
तू कर ले व्रत ग्यारस का।

तू सतगुरु जी के गुण गा ले,
जीवन अपना सफल बना ले,
तू भव से पार उतर जाएगा,
तू कर ले व्रत ग्यारस का।

तेरी काया निर्मल हो जाएगी,
तू कर ले व्रत ग्यारस का,
तू कर ले व्रत ग्यारस का,
तू कर ले भजन हरि का,
तेरी काया निर्मल हो जाएगी,
तू कर ले व्रत ग्यारस का।


तू कर ले व्रत ग्यारस का | Tu Karle Vrat | Shyam Bhajan | Krishna Bhajan | Ekadashi Bhajan |

ग्यारस का व्रत और हरि भजन के जरिए आत्मा का निखार आता है, जैसे पानी में कमल का फूल निर्मल रहता है। दुनिया के रिश्ते—बेटा, बहू, बेटी, पोता—सब मोह के बंधन हैं, जो साथ छोड़ देते हैं। जैसे पेड़ की पत्तियां हवा में उड़ जाती हैं, वैसे ही ये रिश्ते एक दिन बिछड़ जाते हैं। असली साथ तो उस परमात्मा का है, जो कभी नहीं छोड़ता।

सांसारिक चीजों को मेरा-तेरा मानना व्यर्थ है। धन, संपत्ति, सब यहीं रह जाता है, जैसे नदी का पानी किनारे पर ठहर नहीं सकता। सतगुरु के गुण गाने से मन को सही दिशा मिलती है। उनके मार्ग पर चलकर जीवन का मोल समझ आता है, जैसे दीया अंधेरे में रास्ता दिखाता है। ग्यारस का व्रत मन को संयम सिखाता है, और हरि भजन से हृदय में प्रेम जागता है। इससे जीवन का बोझ हल्का हो जाता है, और आत्मा भवसागर से पार उतरती है।


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