भादो की काली काली रात जन्म लियो कान्हा ने
सर के ऊपर धरो री पालना,
वासुदेव ने राम मनाया,
देवकी से करी दो बात,
चाल पड़ा गोकुल में,
भादो की काली काली रात,
जन्म लियो कान्हा ने।
कड़क कड़क यह,
बिजली चमके,
वासुदेव का जियरा धड़के,
होने लगी बरसात,
चाल पड़ा गोकुल में,
भादो की काली काली रात,
जन्म लियो कान्हा ने।
जमुना जी का जल चढ़ा आया,
कृष्ण जी ने पैर बढ़ाया,
चरण लिए पुचकार,
चाल पड़ा गोकुल में,
भादो की काली काली रात,
जन्म लियो कान्हा ने।
नंद बाबा का घर ढूंढा है,
नहीं किसी को पता चला है,
वहां पड़ी यशोदा मात,
चाल पड़ा गोकुल में,
भादो की काली काली रात,
जन्म लियो कान्हा ने।
मेरे कृष्ण का रूप निराला,
मोर मुकुट वैजयंती माला,
त्रिलोकी का नाथ,
चाल पड़ा गोकुल में,
भादो की काली काली रात,
जन्म लियो कान्हा ने।
भजन - भादो की रात काली झुकी रे अंधेरिया | Bhado Ki Raat Kaali Jhuki Re Andheriya | Prakash Rootha
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