नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे लिरिक्स Nandrani Kanhaiyo Jabar Lyrics

यह कथा भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीला का वर्णन करती है। जब श्रीकृष्ण चलने लगे, तो उनकी मित्र मंडली बन गई। वे हर दिन माखन चोरी करने जाते थे। आज की बारी ‘चिकसोले वाली’ गोपी की थी।

श्रीकृष्ण ने अपने मित्रों को गोपी के घर के पास छिपा दिया और स्वयं उसके घर गए। उन्होंने अपने बाल और काजल बिखरा लिया, ताकि गोपी उन्हें पहचान न पाए। श्रीकृष्ण ने कहा कि यशोदा ने उन्हें माखन मांगने के लिए भेजा है। गोपी ने माखन दे दिया। श्रीकृष्ण ने माखन को अपने मित्रों को दे दिया और सभी मिलकर गोपी के द्वार पर बैठ गए। वे माखन और मिश्री खाने लगे। गोपी ने आवाज सुनी और जब वह द्वार खोली, तो उसने श्रीकृष्ण और उनके मित्रों को माखन खाते हुए देखा।

गोपी ने गुस्से में कहा कि माखन संतों को चाहिए था या इन चोरों को? श्रीकृष्ण ने कहा कि वे नागा संत हैं और उन्हें दंडवत प्रणाम करना चाहिए। गोपी ने कहा कि वह उन्हें दंडवत प्रणाम करेगी, लेकिन पहले वह डंडा लेकर आएगी। श्रीकृष्ण ने अपने मित्रों को भागने का इशारा किया। सभी भाग गए, लेकिन गोपी ने उन्हें पकड़ नहीं पाया। इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि भगवान श्रीकृष्ण बहुत ही शरारती और प्यारे थे। वे हमेशा अपने मित्रों के साथ खेलते रहते थे और उन्हें खुशी देते थे।

Naye Bhajano Ke Lyrics

नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे लिरिक्स Nandrani Kanhaiyo Jabar Lyrics : Krishna Bhajan

नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे,
मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे।

पनघट पे आके करे जोरा जोरी,
चुपके से आये करे चिर चोरी,
मैया हल्लो मच्यो तो सटक गयो रे,
मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे।

मुस्कान इसकी लगे प्यारी प्यारी,
दीवानी हुई इसकी सारी बृज नारी,
ऐ की बंसी में जियरो अटैक गयो रे,
मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे।

घर घर में जाके ये माखन चुरावे,
खावे सो खावे जमी पे गिरावे,
मैया रोकनो हमारो खटक गयो रे,
मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे।

मैं तो दुखारी गरीबी की मारी,
नहीं जोर चल्यो तो दीन्ही में गाली,
नंदू बैंया कन्हैया झटक गयो रे,
मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे।

नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे,
मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे।
 


Nand Rani Kanhiyon [Full Song] Aisi Masti Kahan Milegi

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