ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में लिरिक्स Rishi Valmiki Ki Kutiya Me Lyrics
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में लिरिक्स Rishi Valmiki Ki Kutiya Me Lyrics
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में,एक सीता प्यारी रहती हैं
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में,
एक सीता प्यारी रहती है।
जंगल में आग जब लगती है,
उसे सभी बुझाने आते हैं,
जब मन में आग लग जाती है,
उसे कोई बुझा नहीं पाता है,
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में,
एक सीता प्यारी रहती है।
कपड़े में दाग जब लगता है,
साबुन से मिटाया जाता है,
जब कुल में दाग लग जाता है,
उसे कोई छुड़ा नहीं पाता,
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में,
एक सीता प्यारी रहती है।
जब तन से कपड़ा फटता है,
सुई धागे से वो सिल जाता है,
जब दिल से दिल फट जाता है,
उसे कोई भी सिल नहीं पाता है,
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में,
एक सीता प्यारी रहती है।
जो गहरी नींद में सो जाए,
उसे सभी जगाने आते है,
जो हरी की नींद में सो जाए,
उसे कोई जगा नहीं पाता है,
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में,
एक सीता प्यारी रहती है।
जो ठोकर खाकर गिर जाए,
उसे सभी उठाने आते हैं,
जो नज़रों से गिर जाता है,
उसे कोई उठा नहीं पाता है,
ऋषि वाल्मीकि की कुटिया में,
एक सीता प्यारी रहती है।