श्री राम जी से कैसे जुड़ी है नवरात्रि Navratri Story Associated Shri Rama
भगवान श्रीराम ने देवी दुर्गा की पूजा के लिए नौ दिनों तक अनुष्ठान किया था और नारद जी की सलाह का पालन करते हुए दुर्गा माता की उपासना कर उन्होंने रावण का वध किया। इस आधार पर, नवरात्रि महोत्सव नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और दसवें दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जिसमें रावण का वध किया गया था।
हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म से जुड़े हुए लोगों की माता दुर्गा में बहुत ही आस्था है। सभी हिंदू नवरात्रि में माता रानी की पूजा अर्चना करते हैं। कहा जाता है की माता रानी की पूजा करने से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
इसी प्रकार एक मान्यता के अनुसार यह भी माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी माता दुर्गा की पूजा अर्चना की थी। जब रावण माता सीता को छल से लंका ले गया था। तब माता सीता को प्राप्त करने के लिए और रावण का अंत करने के लिए भगवान श्री राम ने दुर्गा माता का आवाहन किया था। उन्होंने दुर्गा मैया का नौ दिन तक आवाहन किया तथा पूजा अर्चना की। नवें दिन दुर्गा मैया ने प्रसन्न होकर भगवान श्री राम को विजय होने का आशीर्वाद दिया। दशमी तिथि के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका से माता सीता को प्राप्त कर लिया।
भगवान श्री राम ने आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही माता रानी की पूजा करना शुरू किया था। यह पूजा नवमी तिथि को संपन्न हुई और माता दुर्गा के आशीर्वाद से दशमी तिथि को रावण का वध किया गया था।
इसीलिए श्री राम जी की विजय के फलस्वरुप आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी कहा जाता है। इस प्रकार मां दुर्गा ने भगवान श्री राम को विजय होने का वरदान दिया था।
तभी से यह माना जाता है की नवरात्रि में अर्थात आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मां दुर्गा का की पूजा अर्चना करने से बड़े से बड़ा संकट दूर होता है तथा शुभ और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
नारद मुनि ने दिया भगवान श्री राम को उपदेश
नारद मुनि ने श्री राम को यह सुझाव दिया कि वह मां दुर्गा का व्रत करें, जिससे वे रावण के प्रति विजय प्राप्त कर सकें। इस व्रत को नवरात्री के दौरान मनाया जाता है, जो मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए होता है। यह व्रत दुर्गा माता के आराधना, जप, और ध्यान के साथ मनाया जाता है और विशेष उपासना की जाती है। इसके अनुसार, व्यक्ति को नौ दिनों तक विशेष भोजन, पूजा, और व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। इस व्रत में भक्त नौ दिन तक नौ रूपों की पूजा करता है और देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करता है। इसे ध्यान, जप, और आराधना के साथ मनाने से व्यक्ति को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उन्हें अनेक प्रकार की समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
नारद मुनि का यह सुझाव श्री राम ने आदर्श रूप से अपनाया और मां दुर्गा के व्रत को आदर्श रूप से मनाया, जिससे उन्हें रावण पर विजय प्राप्त हुई। यह घटना भगवान श्री राम के जीवन में मां दुर्गा के व्रत के महत्व को और बढ़ाती है, और यह भारतीय संस्कृति में नवरात्री महोत्सव के महत्व को दर्शाती है। नवरात्री महोत्सव में मां दुर्गा की पूजा करने से व्यक्ति को सफलता, सुख, और शांति प्राप्त होती हैं, और उनकी दुर्गम परिस्थितियों में विजय होती है। इसलिए लोग नवरात्री महोत्सव में विशेष भक्ति भाव से मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन की समृद्धि और सफलता प्राप्त करते हैं।
नौ दिनों तक चला अनुष्ठान
नारद मुनि के दिशा-निर्देश पर प्रभु श्री राम ने लंका विजय के लिए एक अनुष्ठान शुरू किया। उन्होंने प्रसिद्ध किष्किन्धा पर्वत पर भगवान दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया और अपने छोटे भाई लक्ष्मण जी के साथ इस अनुष्ठान का पालन किया। नवरात्र अर्थात नवरात्रि उपवास रखने के बाद माता भगवती प्रसन्न हुईं और उन्होंने दोनों भाइयों को दर्शन दिया। साथ ही माता ने श्री राम को विजय होने का आशीर्वाद प्रदान किया।
माता के आशीर्वाद से श्री राम को लंका पर विजय प्राप्त करने का आत्मविश्वास मिला। दशमी तिथि को जब श्री राम और रावण में युद्ध हुआ तो श्री राम ने रावण को पराजित कर दिया। यह अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक था। आज भी विजयदशमी के दिन इस महान विजय का जश्न मनाया जाता है। श्री राम के अनुष्ठान का महत्व यह है कि यह हमें सिखाता है कि सच्चाई और न्याय के लिए संघर्ष करना चाहिए। यदि हम ईश्वर में विश्वास रखते हैं और उसके मार्ग पर चलते हैं, तो हमें सफलता जरूर मिलेगी।
नवरात्रि का महत्त्व ?
नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक की अनुष्ठानिक प्रक्रिया का पालन करने से भक्त अपने मानसिक और आत्मिक स्थिति में परिवर्तन करता है। इस अनुष्ठान में भक्त नौ दिनों तक विशेष भोजन, उपवास, पूजा, और ध्यान का पालन करता है, जिससे उनका मानसिक और आत्मिक विकास होता है। यह प्रक्रिया उनकी भक्ति और ध्यान को बढ़ाती है, और उन्हें मां दुर्गा के प्रति श्रद्धा और आदर्श के प्रति समर्थन की भावना प्राप्त होती है। इस अनुष्ठान के दौरान भक्त को अपने भाग्य को स्वीकार करने, धर्म का पालन करने, और दुःखों का सामना करने की नैतिक और आत्मिक शक्ति मिलती है। यह प्रक्रिया भक्त को अपने जीवन में सफलता और शांति प्राप्त करने में मदद करती है और उन्हें मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
इस अनुष्ठान में भक्त को मां दुर्गा की पूजा और उनके नौ रूपों की पूजा करनी चाहिए, जिससे वे मां की कृपा प्राप्त हो। यह नौ दिन भक्त के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और सफलता लाते हैं, और वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होते हैं। इस प्रक्रिया में भक्त नौ दिनों तक विशेष प्रकार की भोजन और आदर्श जीवनशैली का पालन करता है, जो उन्हें आध्यात्मिक विकास में मदद करता है और उन्हें देवी के प्रति भक्ति में उन्नति प्रदान करता है। भगवान श्रीराम का नौ दिनों तक चला अनुष्ठान विशेष महत्वपूर्ण था, जिसमें उन्होंने मां दुर्गा की पूजा और आदर्श जीवनशैली का पालन किया। नौ दिनों के अनुष्ठान के बाद, भगवान श्रीराम ने मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करते हुए लंका पर आक्रमण किया। यह घटनाक्रम रामायण महाकाव्य के युद्ध कांड में विस्तार से वर्णित है।
नौ दिनों का अनुष्ठान पूरा होने पर, भगवान श्रीराम ने अपने सेना के साथ लंका की ओर रुख किया। रावण के शक्तिशाली राज्य लंका पर आक्रमण करते समय, भगवान श्रीराम ने बड़े युद्ध के लिए तैयारी की।
भगवान श्रीराम और उनकी सेना ने लंका के द्वार के समीप युद्ध का आक्रमण किया। युद्ध के दौरान, भगवान श्रीराम ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया और लंका के राक्षसों को पराजित किया। इस युद्ध में भगवान श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण जी, हनुमान जी, विभीषण और अनेक देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करते हुए लंका की पराजय हासिल की। भगवान श्रीराम ने रावण को भी मार गिराया, जिससे लंका पर विजय प्राप्त हुई।
इस प्रकार, भगवान श्रीराम ने नौ दिनों के अनुष्ठान के पश्चात लंका पर विजय प्राप्त की, जो रामायण महाकाव्य में महत्वपूर्ण घटना के रूप में वर्णित है।
महिषासुर का किया था वध
नवरात्रि के पीछे एक पौराणिक कथा है कि महिषासुर नामक एक राक्षस था। महिषासुर ने भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान लिया था। जिसके बाद उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था। महिषासुर के अत्याचार से परेशान देवी-देवताओं ने भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा से मदद मांगी। जिसके बाद तीनों देवताओं ने आदि शक्ति मां दुर्गा का आवाहन किया।
कहा जाता है कि इसके बाद भगवान शिव और विष्णु के क्रोध व अन्य देवताओं के मुख से एक तेज प्रकट हुआ, जो देवी के रूप में बदल गया। उसके बाद अन्य देवताओं ने उन्हें अस्त्र और शस्त्र प्रदान किए। जिसके बाद मां दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध हुआ। यह युद्ध 9 दिनों तक चला। उसके बाद दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। महिषासुर नामक राक्षस ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करके अमरत्व की प्राप्ति की थी और फिर उसने अपनी अधिकतम शक्ति का दुरुपयोग करते हुए स्वर्गलोक पर हमला किया। उसकी शक्ति इतनी विशाल थी कि देवताओं की भी हार हो गई और उन्हें स्वर्ग छोड़कर भागना पड़ा।
इस संकट में देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, और शिव से मदद मांगी। त्रिदेवों ने अपनी शक्तियों से एक नई शक्ति उत्पन्न की, जो मां दुर्गा के रूप में प्रकट हुईं। मां दुर्गा ने नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन महिषासुर को हराया। इस विजय की खबर सुनकर देवता अत्यंत आनंदित हुईं और उन्होंने नवरात्रि मनाना शुरू किया।
नवरात्रि महोत्सव नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और उन्हें भक्ति भाव से याद किया जाता है। यह त्योहार भक्ति, उमंग, और आनंद के साथ मनाया जाता है और लोग इस अवसर पर व्रत, पूजा, और आराधना करते हैं।