गायत्री मंत्र का अर्थ लाभ और महत्त्व Gayatri Mantra Meaning And Benefits
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
मंत्र क्या होता है : मंत्र को हम एक छंद समझ सकते हैं, जो दैवीय शक्तियों से युक्त होता है। वैदिक ऋचाओं के प्रत्येक छन्द भी मंत्र कहे जाते हैं। गुप्त शक्तियों से युक्त छंद जो किसी देवता की स्तुति करता हो, मंत्र कहलाता है। गायत्री मंत्र ही एक मात्र ऐसा मंत्र माना गया है जिसके जाप से तुरंत लाभ होता है।
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं।
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं।
- ॐ = प्रणव।
- भूर = मनुष्य को प्राण शक्ति प्रदाण करने वाला।
- भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला।
- स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला।
- तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल।
- वरेण्यं = सबसे उत्तम।
- भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला।
- देवस्य = प्रभु।
- धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
- धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी।
- प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना।
गायत्री मंत्र का उपयोग ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति और ईश्वर की भक्ति के लिए किया जाता है और इसका प्रयोग सांसारिक सुख सुविधा और वैभव प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह एक ऐसा मंत्र है जिसके असंख्य प्रभाव हैं। शास्त्रों में भी गायत्री मंत्र को सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है।
गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ : परमात्मा जो जो सृष्टिकर्ता है प्रकाशमान है हम उसके तेज को प्रणाम करते हैं, परमात्मा का तेज हमें सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे।
गायत्री मंत्र जाप के नियम : इस मंत्र के जाप से पहले किसी गुरु की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। गायत्री मंत्र का जाप करने के नियम हैं। गायत्री मंत्र के उच्चारण से पहले व्यक्ति सुद्ध अवस्था में होना चाहिए। गायत्री मंत्र का जाप तेज आवाज में नहीं किया जाना चाहिए।
गायत्री मन्त्र प्रातः कालीन समय से कुछ समय पूर्व अगर करें तो अच्छे लाभ मिलते हैं क्योंकि व्यक्ति की मानसिक एकाग्रता बनी रहती है और सुद्ध वातावरण में इसका प्रभाव ज्यादा होता है। दोपहर बाद और संध्या से पहले इस मंत्र का जाप किया जा सकता है। ध्यान रखने योग्य बात यही है की मंत्र जाप करते समय व्यक्ति एकाग्रचित्त होना चाहिए। मौन रहकर मानसिक रूप से इस मंत्र का जाप अधिक लाभदायक होता है। जाप के समय तुलसी की माला पहने और सुद्ध होकर ही इसका जाप करें।
गायत्री मंत्र के लाभ : सभी वेदों का सार है गायत्री मंत्र। गायत्री मंत्र सभी अशुभ ताकतों को परास्त करने की ताकत रखता है। आप चाहे किसी भी पेशे में हो, नौकरी करते हो, व्यापार करते हों, या किसी परीक्षा के तैयारी करते हों, गायत्री मंत्र के जाप से आप के सभी कष्टों का अंत होगा। वस्तुतः गायत्री मंत्र नकारात्मक शक्तियों को दूर कर व्यक्ति के जीवन में लाभदायी परिणाम लेकर आता है।
वेदों में लिखा है की गायत्री मंत्र के जाप करने वाले को कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होती और उसके जीवन में धन धान्य की बरकत बनी रहती है। इस मंत्र के जाप से सूर्य देव भी प्रशन्न होते हैं। वेद माता गायत्री की पूजा से २४ देव शक्तियों का आव्हान होता है।
एकाग्रता : इस मन्त्र के १०८ बार जाप करने से व्यक्ति का मन और मस्तिष्क एकाग्र होता है। विद्यार्थी और किसी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले व्यक्ति की लिए यह मंत्र किसी वरदान से कम नहीं है। मंत्र जाप से बुद्धि प्रखर होती है और स्मरण शक्ति का विकाश होता है।
यदि आपका व्यापार है और व्यापार में आपके द्वारा मेहतन की बाद भी बरकत नहीं हो रही है। ग्राहकों में आपक विश्वाश नहीं जम पा रहा है तो आप गायत्री मंत्र का जाप करे निश्चित लाभ होगा। इसके लिए आप शुक्रवार को हाथी पर विराजमान गायत्री जी की मूर्ति के सम्मुख जाप करें। सूती वस्त्र पहने और शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखें। इससे गरीबी का नाश होता है और आपके व्यापार में निश्चित लाभ होगा।
यदि आपको संतान नहीं हो रही है, आप डाक्टरों से मिल चुके हैं और लाभ नहीं हो रहा है तो आप इस मंत्र का जाप भी करके देखे। इसके लिए आपको पति और पत्नी दोनों को सफ़ेद वस्त्र धारण करके जोड़े से गायत्री मंत्र का जाप करे लाभ होगा।
शत्रुओं पर विजय हासिल करने के लिए भी यह मंत्र लाभ दायक है। यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं से परेशान है तो उसे गायत्री मंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए मा दुर्गा का ध्यान का करके १०८ बार जाप करना चाहिए जो बहुत ही लाभ दायक है।
यदि किसी असाध्य रोग से ग्रस्त हैं तो आपको शुभ मुहूर्त देखकर कांसे के बर्तन में गंगा जल या सुद्ध जल भरकर उसके सामने लाल आसान पर बैठकर गायत्री मंत्र के साथ ऐं ह्रीं क्लीं का संपुट लगाकर जाप करने से लाभ होता है।