एक बार मैरे भोले घर मेरे चले आना
एक बार मैरे भोले घर मेरे चले आना
एक बार मैरे भोले, घर मेरे चले आना,
किस्मत मेरी सोई है, भोले आकर जगह जाना,
श्रीराम ने गुड़ गाकर, भोले तुमको मनाया था,
जीती थी तभी लंका, रावण को हराया था,
आती ना हमें भक्ति, भोले आकर बता जाना,
एक बार मेरे भोले, घर मेरे चले आना,
हम भांग धतूरा भी, भोले तुमको चढ़ा देंगे,
जैसा बने वैसा, हम भोग लगा देंगे,
दुखिया की अरज सुन ले, कहे तेरा दीवाना है,
एक बार मेरे भोले, घर मेरे चले आना,
एहसान तेरा हम तो, कई जन्मों ना भूलेंगे,
तुझको ही सदा भोले, हर जन्म पूजेंगे,
किस्मत मेरी सोई है, भोले आकर जगह जाना,
एक बार मेरे भोले, घर मेरे चले आना
किस्मत मेरी सोई है, भोले आकर जगह जाना,
श्रीराम ने गुड़ गाकर, भोले तुमको मनाया था,
जीती थी तभी लंका, रावण को हराया था,
आती ना हमें भक्ति, भोले आकर बता जाना,
एक बार मेरे भोले, घर मेरे चले आना,
हम भांग धतूरा भी, भोले तुमको चढ़ा देंगे,
जैसा बने वैसा, हम भोग लगा देंगे,
दुखिया की अरज सुन ले, कहे तेरा दीवाना है,
एक बार मेरे भोले, घर मेरे चले आना,
एहसान तेरा हम तो, कई जन्मों ना भूलेंगे,
तुझको ही सदा भोले, हर जन्म पूजेंगे,
किस्मत मेरी सोई है, भोले आकर जगह जाना,
एक बार मेरे भोले, घर मेरे चले आना
शिव भजन!एक बार मेरे भोले घर मेरे चले आना किस्मत मेरी सोई है!
Ek Baar Maire Bhole, Ghar Mere Chale Aana,
Kismat Meree Soee Hai, Bhole Aakar Jagah Jaana,
Kismat Meree Soee Hai, Bhole Aakar Jagah Jaana,
भोले बाबा का नाम लेते ही मन में उनके आने की आस जागती है। यह पुकार उस भक्त की है, जो अपने सोए भाग्य को बाबा की कृपा से जगाना चाहता है। जैसे श्रीराम ने भोले को भक्ति से मनाकर लंका पर विजय पाई, वैसे ही भक्त अपने मन के रावण—अज्ञान और दुख—को हरने के लिए बाबा को बुलाता है।
भांग-धतूरा, भोग-प्रसाद, यह सब भक्त की सादगी भरी श्रद्धा है। वह माँगता नहीं, बस बाबा से अपने दुख सुन लेने की गुहार करता है। जैसे कोई बच्चा माँ से अपनी बात कहने को बेताब रहता है, वैसे ही भक्त का मन बाबा के चरणों में अर्पित है।
बाबा का एक बार आना ही जीवन को धन्य कर देता है। उनकी कृपा का ऋण ऐसा है, जो जन्मों तक नहीं उतरता। भक्त का संकल्प है कि हर जन्म में वह बाबा की ही भक्ति करेगा। यह प्रेम और विश्वास ही वह शक्ति है, जो मन को बाबा के घर—उनके चरणों—की ओर खींचता है।
भांग-धतूरा, भोग-प्रसाद, यह सब भक्त की सादगी भरी श्रद्धा है। वह माँगता नहीं, बस बाबा से अपने दुख सुन लेने की गुहार करता है। जैसे कोई बच्चा माँ से अपनी बात कहने को बेताब रहता है, वैसे ही भक्त का मन बाबा के चरणों में अर्पित है।
बाबा का एक बार आना ही जीवन को धन्य कर देता है। उनकी कृपा का ऋण ऐसा है, जो जन्मों तक नहीं उतरता। भक्त का संकल्प है कि हर जन्म में वह बाबा की ही भक्ति करेगा। यह प्रेम और विश्वास ही वह शक्ति है, जो मन को बाबा के घर—उनके चरणों—की ओर खींचता है।
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Author - Saroj Jangir
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