महाकाल के पुजारी भजन

महाकाल के पुजारी भजन

 जय श्री महाकाल
मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,
महाकाल बहुत याद आते हैं.

मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
महाकाल बहुत याद आते हैं.

अब उज्जैन नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.

मै देर रात तक जागूँ तो ,
महाकाल बहुत याद आते हैं.

कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,

मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
महाकाल बहुत याद आते हैं.

वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पलभर में,

अब खुद से भी रूठूँ तो,
महाकाल बहुत याद आते हैं ।
जय श्री महाकाल
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आधी आधी रात को मेने खीचें है दम,
मुंह से है निकले धुँआ, बोले बम बम,
आधी आधी रात को मेने खीचें है दम,
मुंह से है निकले धुँआ, बोले बम बम,

सावन का महीना, मेरे यार सारे टुल्ल,
हाथों मे भंग जेबे गाँजे से फुल्ल,
महादेव के पुजारी, महादेव के पुजारी
कहती दुनिया सारी महादेव के पुजारी
देव के पुजारी महादेव के पुजारी,
कहती दुनिया सारी महादेव के पुजारी।

देख लो अंजाम सारे आज मेरे काम का,
भोले का भक्त हूँ मैं बंदा हिंदुस्तान का,
भांग का शौक़ीन भोले की श्रद्धा मे लीन
महादेव का मैं भक्त मेरी भी आंखे हैं तीन
डम डम डमरू बजे भोलेनाथ का
भांग पीयू भोले के घाट का
हरिद्वार मे डुबकी लगा
के काम शुरू फिर मेरे पाप का,
मेरे पाप का मेरे पाप का।

जॉइंट पिला दे मुझको भोले बंद सा हो जाने दे,
भूल के दुनियादारी हर हर धुएं में खो जाने दे,
तीनों लोक मे डंका बाजे भोलेनाथ के नाम का,
भूत को सारे बोता दिया है मेने प्रोग्रम इस रात का,
कष्ट लगा ले हरि पट्टी के भोले से मिलवा दूंगा,
इतना किया सोचे है पागल जन्नत भी दिखला दूंगा
टर्मिनेटर भोला मेरा दुनिया करदे राख सारी,
हमसे ना टकराना,
हम तो महाकाल के ठहरे पुजारी
निकला मुहसे धुंआ चिल्लम और गंजे का
अब हर बस्ती गाऊ में गाना यही बजेगा
आधी आधी रात को मेने खीचें है दम
मुंहसे हे निकले धूआ बोले बम बम
देव के पुजारी महादेव के पुजारी
ऐसे होते हैं पुजारी महादेव के पुजारी
देव के पुजारी महादेव के पुजारी
ऐसे होते हैं पुजारी महादेव के पुजारी
देव के पुजारी महादेव के पुजारी
ऐसे होते हैं पुजारी महादेव के पुजारी
देव के पुजारी महादेव के पुजारी
ऐसे होते हैं पुजारी महादेव के पुजारी 



Mahakal ke pujari song मै यादों का किस्सा खोलूँ तो महाकाल बहुत याद आते हैं

महाकाल का नाम मन में बस जाए, तो हर साँस में उनकी याद समा जाती है। उज्जैन की पवित्र नगरी, जहाँ भोले बाबा विराजते हैं, वहाँ का हर पल फूलों-सा कोमल, खुशबू-सा सुगंधित है। रात की गहराई में, जब दुनिया सोती है, तब भक्त का मन महाकाल की शरण में जागता है। उनकी नाराजगी भी पलभर की, और मान जाना भी उतना ही त्वरित—जैसे माँ अपने बच्चे को क्षण में मना लेती है। जब मन खुद से रूठता है, तब भी महाकाल की याद ही सहारा बनती है।

सावन की रिमझिम में, जब भोले के भक्त भांग और भक्ति में डूबते हैं, तब डमरू की गूँज और बम-बम की पुकार हर बस्ती में गूँजती है। ये भक्त न दुनिया की चिंता करते हैं, न परवाह—बस महादेव की श्रद्धा में लीन, हरिद्वार की गंगा में डुबकी लगाकर अपने पाप धोते हैं। चिलम का धुआँ, भांग का रंग, ये सब उनके लिए भोले की भक्ति का हिस्सा है। जैसे अग्नि सब कुछ शुद्ध कर देती है, वैसे ही भोले का नाम हर कष्ट को राख कर देता है।

महाकाल के पुजारी का जोश देखो—वे न डरते हैं, न झुकते। भोले का डंका तीनों लोकों में बजता है। उनके लिए भक्ति ही जन्नत है, और महाकाल ही वह शक्ति, जो हर बाधा को मिटा देती है। बस, सच्चे मन से पुकारो—जय श्री महाकाल। हर पुकार पर भोले हाजिर हैं।

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