मैंने रंगा केसरी चोला लखदातार के लिए
मैंने रंगा केसरी चोला लखदातार के लिए
आराधना करता हूँ,
मेरे श्याम के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
है कलयुग के अवतारी,
तेरे नाम की महिमा भारी,
तेरे दर पे आन पड़ा हूँ,
दर्शन का बन के भिखारी,
घुट-घुट कर तरस रहा हूँ,
दीदार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
स्वार्थ ने मुझको घेरा,
लालच ने डाला डेरा,
प्रभु मोह माया में पड़कर,
मैं भूल गया दर तेरा,
मुझे अब तो राह दिखा दे,
भव पार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
ओ बाबा शीश के दानी,
तेरी शक्ति सबने जानी,
प्यासी आंखों में भर दे,
सूरत तेरी मस्तानी,
मेरा आवागमन मिटा दे,
हर बार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
वो जीवन भी क्या जीवन,
जिसने दरबार न देखा,
वो स्वामी भक्त नहीं है,
जिसने माथा नहीं टेका,
खाटू में मुझे बसा ले,
तेरे प्यार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
आराधना करता हूँ,
मेरे श्याम के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
मेरे श्याम के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
है कलयुग के अवतारी,
तेरे नाम की महिमा भारी,
तेरे दर पे आन पड़ा हूँ,
दर्शन का बन के भिखारी,
घुट-घुट कर तरस रहा हूँ,
दीदार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
स्वार्थ ने मुझको घेरा,
लालच ने डाला डेरा,
प्रभु मोह माया में पड़कर,
मैं भूल गया दर तेरा,
मुझे अब तो राह दिखा दे,
भव पार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
ओ बाबा शीश के दानी,
तेरी शक्ति सबने जानी,
प्यासी आंखों में भर दे,
सूरत तेरी मस्तानी,
मेरा आवागमन मिटा दे,
हर बार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
वो जीवन भी क्या जीवन,
जिसने दरबार न देखा,
वो स्वामी भक्त नहीं है,
जिसने माथा नहीं टेका,
खाटू में मुझे बसा ले,
तेरे प्यार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
आराधना करता हूँ,
मेरे श्याम के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला,
लखदातार के लिए।।
Mene Ranga Keshri Chola Lakhdatar Ke Liye || Bhajan2022 || Amit Nama ll Jogan Music
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भक्ति का यह भाव हृदय को उस परम शक्ति के प्रति पूर्ण समर्पण की ओर ले जाता है, जहाँ भक्त अपनी सारी सांसारिक इच्छाओं को त्यागकर केवल प्रभु के दर्शन और उनकी कृपा का भिखारी बन जाता है। यह भाव दर्शाता है कि भक्त का मन प्रभु के प्रेम में इतना रम जाता है कि वह अपने जीवन को प्रभु के रंग में रंग लेता है, जैसे केसरी चोला धारण कर वह प्रभु की भक्ति में लीन हो जाता है। यह समर्पण केवल बाह्य रूप तक सीमित नहीं, बल्कि यह आत्मा की गहराइयों से निकलने वाली पुकार है, जो प्रभु के दर्शन की तीव्र लालसा और उनके प्रति अटूट विश्वास को व्यक्त करती है। भक्त का यह विश्वास कि प्रभु की कृपा से वह जीवन के हर संकट से पार पा सकता है, उसे एक नई शक्ति और दिशा प्रदान करता है, जो उसे सांसारिक बंधनों से मुक्त कर प्रभु की शरण में ले जाता है।
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Admin - Saroj Jangir
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