तेरा वचन मेरी रोटी भजन
तेरा वचन मेरी रोटी भजन
तेरा वचन, मेरी रोटी
जब मैं पढूं, दे वो शक्ति –(2)
मेरी मुश्किलों में साथ, तू है खड़ा
मेरा खालीपन जो था, तूने भरा –(2)
प्यार है तेरा गहरा
मुझको यकीन तू हाथ न छोड़ेगा –(2)
चाहत तेरी बे-पनाह है
बेहता लहू जो गवाह है –(2)
जिंदगी है तू पुनर्स्थान
ना कोई था ना है तेरे समान –(2)
प्यार है तेरा गहरा
मुझको यकीन तू हाथ न छोड़ेगा –(2)
मेरे सारे पापों का
बोज तूने सह लिया
चाहे जो भी हो मेरा
तेरी मर्ज़ी मेरी रझा –(2)
प्यार है तेरा गहरा
मुझको यकीन तू हाथ न छोड़ेगा –(2)
मुझको यकीन तू हाथ न छोड़ेगा –(2)
जब मैं पढूं, दे वो शक्ति –(2)
मेरी मुश्किलों में साथ, तू है खड़ा
मेरा खालीपन जो था, तूने भरा –(2)
प्यार है तेरा गहरा
मुझको यकीन तू हाथ न छोड़ेगा –(2)
चाहत तेरी बे-पनाह है
बेहता लहू जो गवाह है –(2)
जिंदगी है तू पुनर्स्थान
ना कोई था ना है तेरे समान –(2)
प्यार है तेरा गहरा
मुझको यकीन तू हाथ न छोड़ेगा –(2)
मेरे सारे पापों का
बोज तूने सह लिया
चाहे जो भी हो मेरा
तेरी मर्ज़ी मेरी रझा –(2)
प्यार है तेरा गहरा
मुझको यकीन तू हाथ न छोड़ेगा –(2)
मुझको यकीन तू हाथ न छोड़ेगा –(2)
Tera Vachan (Official Video)- Jireh Worship | Joseph R Raj, Hanson Tagde & Alisha Nath
प्रभु का वचन जीवन की रोटी है, जो आत्मा को पोषण देता है, मन को बल देता है। इसे पढ़ना केवल शब्दों का ग्रहण नहीं, बल्कि एक शक्ति का संचार है, जो हर कमजोरी को दूर करता है। मुश्किलों में, जब राह धुंधली हो, प्रभु साथ खड़ा है, जैसे कोई चट्टान जो तूफान में भी अडिग रहे। वह खालीपन, जो मन को कचोटता था, उनके प्रेम ने भर दिया, जैसे सूखी धरती को वर्षा हरियाली दे दे।
उनका प्यार इतना गहरा है कि कोई माप नहीं। वह लहू, जो क्रूस पर बहा, उनकी चाहत का साक्षी है। यह प्यार जीवन को पुनर्जनन देता है, जैसे मृत धरती में नया अंकुर फूटता है। कोई उनके समान नहीं, न था, न है। यह विश्वास मन में जड़ें जमाता है कि चाहे कुछ भी हो, प्रभु का हाथ कभी नहीं छूटेगा।
पापों का बोझ, जो आत्मा को दबाए था, उन्होंने उठा लिया। अब हर हाल में उनकी मर्जी ही मन की राह है। यह समर्पण है, जो कहता है कि प्रभु का प्रेम और उनकी इच्छा ही जीवन का आधार है। जैसे नाव किनारे की ओर बढ़ती है, वैसे ही यह विश्वास आत्मा को प्रभु के आलिंगन में ले जाता है, जहां केवल प्रेम और शांति का साम्राज्य है।
उनका प्यार इतना गहरा है कि कोई माप नहीं। वह लहू, जो क्रूस पर बहा, उनकी चाहत का साक्षी है। यह प्यार जीवन को पुनर्जनन देता है, जैसे मृत धरती में नया अंकुर फूटता है। कोई उनके समान नहीं, न था, न है। यह विश्वास मन में जड़ें जमाता है कि चाहे कुछ भी हो, प्रभु का हाथ कभी नहीं छूटेगा।
पापों का बोझ, जो आत्मा को दबाए था, उन्होंने उठा लिया। अब हर हाल में उनकी मर्जी ही मन की राह है। यह समर्पण है, जो कहता है कि प्रभु का प्रेम और उनकी इच्छा ही जीवन का आधार है। जैसे नाव किनारे की ओर बढ़ती है, वैसे ही यह विश्वास आत्मा को प्रभु के आलिंगन में ले जाता है, जहां केवल प्रेम और शांति का साम्राज्य है।
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