स्याम म्हाँसूं ऐडो डोले हो लिरिक्स

स्याम म्हाँसूं ऐडो डोले हो लिरिक्स

स्याम म्हाँसूं ऐडो डोले हो, औरन सूं खेलै धमाल।
म्हाँसूं मुखहिं न बोलै हो, म्याम म्हाँसूं।।टेक।।
म्हारी गलियाँ नाँ फिरे, बाँके आँगणे डोले हो।
म्हाँरी अँगुली ना छुवे, वाकी बहियाँ मोरे, हो।
म्हाँरा अंचरा ना छुवे, वाको घुँघट खोले, हो।
मीराँ के प्रभु साँवरो, रंग रसिया डोले, हो।।

 
(म्हाँसू=हमसे, ऐंडो=इतराकर बचता हुआ, वाके=उनके,अन्य स्त्रियों के, बहियाँ=बाँह, रंग रसिया डोले=विलासी बना फिरता है)
 
मीराबाई का भजन "स्याम म्हाँसूं ऐडो डोले हो" उनके श्रीकृष्ण के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति को व्यक्त करता है। इस भजन में मीराबाई श्रीकृष्ण से अपने जीवन की कठिनाइयों में सहारा देने की प्रार्थना करती हैं। वह कहती हैं कि उनके पास अनगिनत दोष हैं, लेकिन श्रीकृष्ण के बिना उनका कोई सहारा नहीं है। वह श्रीकृष्ण से अपने जीवन की कठिनाइयों में सहारा देने की प्रार्थना करती हैं, क्योंकि उनके बिना उनका कोई सहारा नहीं है। मीराबाई अपने प्रभु श्रीकृष्ण से अपने जीवन की कठिनाइयों में सहारा देने की प्रार्थना करती हैं, क्योंकि उनके बिना उनका कोई सहारा नहीं है। इस भजन के माध्यम से मीराबाई अपने श्रीकृष्ण के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति को व्यक्त करती हैं, जिसमें उनके बिना जीवन की कठिनाई और उनके आगमन की प्रतीक्षा को दर्शाया गया है।

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