स्याम सुन्दर पर वाराँ जीवड़ा लिरिक्स

स्याम सुन्दर पर वाराँ जीवड़ा लिरिक्स

स्याम सुन्दर पर वाराँ जीवड़ा डाराँ स्याम।।टेक।।
थारे कारण जग जण त्यागाँ लोक लाज कुल डाराँ।
थे देख्याँ बिण कल णा पड़तां, णेणाँ चलताँ धाराँ।
क्यासूँ कहवाँ कोण बूझावाँ, कठण बिरहरी धाराँ।
मीराँ रे प्रभु दरशण दीस्यो थे चरणाँ आधाराँ।।

(वाराँ=न्यौछावर कर दिया, जीवड़ा=जीवन, णेणाँ चलताँ धाराँ=आँखों से धारा चलती है, निरन्तर आँसू रहते हैं, बुझावाँ=शान्त करना, कठण=कठिन, आधाराँ=आधार)
 
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