स्याम विणा सखि रह्या ण जावां लिरिक्स

स्याम विणा सखि रह्या ण जावां लिरिक्स

स्याम विणा सखि रह्या ण जावां।।टेक।।
तण मण जीवण प्रीतम वार्या, थारे रूप लुभावां।
खाण वाण म्हारो फीकां सो लागं नैणा रहां मुरझावां।
निस दिन जोवां बाट मुरारी, कबरो दरसण पावां।
बार बार थारी अरजां करसूं रैण गवां दिन जावां।
मीरा रे हरि थे मिलियाँ बिण तरस तरस जीया जावां।।
(वार्या=न्यौछावर करना, लुभावां=मोहित होना, फीकाँ= बेस्वाद, निसदिन=रातदिन, जोवाँ=देखना, बाट=राह, प्रतीक्षा, कबरो=कब, तरस-तरस=तड़प-तड़प, जीया= जी,प्राण)


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