भुवण पति थें घरि आज्याँ जी लिरिक्स Bhuwan Pati The Lyrics

भुवण पति थें घरि आज्याँ जी लिरिक्स Bhuwan Pati The Lyrics Bhuvan Pati The Ghari Ajya Ji Meera Bai Padavali Meera Bhajan Hindi


भुवण पति थें घरि आज्याँ जी
बिथा लगाँ तण जराँ जीवण, तपता बिरह बुझाज्याँ जी।।टेक।।
रोवत रोवत डोलताँ सब रैण बिहावाँ की।
भूख गयाँ निदरा गयाँ पापी जीव णा जावाँ जी।
दुखिया णा सुखिया करो, म्हाणो दरसण दीज्याँ जी। 
मीराँ व्याकुल बिरहणी, अब बिलम णा कीज्याँ जी।।
(भुवणिपति=भुवनपति,संसार के स्वामी, घरि=घर, बिथा=व्यथा, बिहावाँ=बिताना, निदरा=निद्रा,नींद, बिलम=बिलम्ब देर)
कुण बांचे पाती, बिना प्रभु कुण बांचे पाती।
कागद ले ऊधोजी आयो, कहां रह्या साथी।
आवत जावत पांव घिस्या रे (वाला) अंखिया भई राती॥
कागद ले राधा वांचण बैठी, (वाला) भर आई छाती।
नैण नीरज में अम्ब बहे रे (बाला) गंगा बहि जाती॥
पाना ज्यूं पीली पड़ी रे (वाला) धान नहीं खाती।
हरि बिन जिवणो यूं जलै रे (वाला) ज्यूं दीपक संग बाती॥
मने भरोसो रामको रे (वाला) डूब तिर्‌यो हाथी।
दासि मीरा लाल गिरधर, सांकडारो साथी॥

कुबजानें जादु डारा। मोहे लीयो शाम हमारारे॥ कुबजा०॥ध्रु०॥
दिन नहीं चैन रैन नहीं निद्रा। तलपतरे जीव हमरारे॥ कुब०॥१॥
निरमल नीर जमुनाजीको छांड्यो। जाय पिवे जल खारारे॥ कु०॥२॥
इत गोकुल उत मथुरा नगरी। छोड्यायो पिहु प्यारा॥ कु०॥३॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे। जीवन प्रान हमारा॥ कु०॥४॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। बिरह समुदर सारा॥ कुबजानें जादू डारारे कुब०॥५॥
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