बिरह के बान ले बिरहनि मारी है। चित हो पिया की प्यारी नेकहूँ न होवे न्यारी। मीराँ तो आजार बाँध बैद गिरधारी है।। (पीर=पीड़ा, करक=कसक,चोट, ओखद=औषधि, बिरहति=प्रियतम का विरह, चित=याद,आजार=दुःखी)
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर। हम चितवत तुम चितवत नाहीं
meera Bai Bhajan Lyrics Hindi
मन के बड़े कठोर। मेरे आसा चितनि तुम्हरी और न दूजी ठौर। तुमसे हमकूँ एक हो जी हम-सी लाख करोर।। कब की ठाड़ी अरज करत हूँ अरज करत भै भोर।
मीरा के प्रभु हरि अबिनासी देस्यूँ प्राण अकोर।।
छोड़ मत जाज्यो जी महाराज॥ मैं अबला बल नायं गुसाईं, तुमही मेरे सिरताज। मैं गुणहीन गुण नांय गुसाईं, तुम समरथ महाराज॥ थांरी होयके किणरे जाऊं, तुमही हिबडा रो साज। मीरा के प्रभु और न कोई राखो अबके लाज॥