ऐ वतन आबाद रहे तू सोंग
ऐ वतन आबाद रहे तू सोंग
ऐ वतन मेरे वतन,ऐ वतन आबाद रहे तू,
ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू,
मैं यहाँ रहु जहां में याद रहे तू,
ऐ वतन मेरे वतन,
तू ही मेरी मंजिल है पहचान तुजी से,
पौंचू मैं याहा भी मेरी बुन्याद रहे तू,
ऐ वतन मेरे वतन....
तुझपे कोई गम आंच आने नहीं दू,
कुर्बान मेरी जान तुझपे शान रहे तू,
ऐ वतन मेरे वतन,
मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण का उद्गार प्रदर्शित होता है। जब कोई अपनी धरती से जुड़कर उसे गौरव प्रदान करने का संकल्प लेता है, तब वह न केवल स्वयं की पहचान को मजबूत करता है, बल्कि अपने वतन को भी उन्नति की राह पर आगे बढ़ाता है।
देश केवल सीमाओं से नहीं, बल्कि उसके नागरिकों के सम्मान और त्याग से महान बनता है। इसकी पहचान हर व्यक्ति के दिल में अंकित होती है, और जब कोई अपनी मातृभूमि के लिए समर्पण की भावना रखता है, तो उसका प्रत्येक कदम देश की उन्नति में योगदान देता है।
राष्ट्र की शान को बनाए रखना, उसके सम्मान की रक्षा करना, और उसके गौरव को बढ़ाने के लिए हर कठिनाई का सामना करना सच्ची देशभक्ति है। देश के लिए बलिदान करने वाले वीरों का स्मरण सदैव जीवित रहता है, और उनका साहस हर पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
भारत की पहचान उसके मूल्यों, उसके संस्कारों और उसके नागरिकों के आत्मसम्मान से निर्मित होती है। इसकी रक्षा करना, इसे उन्नति की ओर ले जाना, और इसकी अखंडता को बनाए रखना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। यही वह भावना है जो राष्ट्र को अमर बना देती है, और जो इस प्रेम से भरा होता है, वह हर युग में अपने देश की सेवा करने के लिए तत्पर रहता है।