तेरी मुरली ने मस्त बनाया नंदलाला
तेरी मुरली ने मस्त बनाया नंदलाला भजन
तेरी मुरली ने मस्त बनाया नंदलाला,
तेरी बंसी ने मस्त बनाया नंदलाला,
जेह्डा मीरा ताहि अमृत पिलाया नंदलाला.
निकी जाही गेंद छाल यमुना च मारी,
वेख दी रह गई दुनिया सारी कहो
तेरी बंसी ने मस्त बनाया नंदलाला,
जेह्डा मीरा ताहि अमृत पिलाया नंदलाला.
निकी जाही गेंद छाल यमुना च मारी,
वेख दी रह गई दुनिया सारी कहो
जेहा खेड रचाया
नंदलाला,
तेरी मुरली ने मस्त बनाया नंदलाला
बूहे विच यार सुदामा कुरलावे,
मेनू मेरा कृष्णा नजर ना आवे,
आजा छेती आजा बड़ा तरसाया नद्लाला,
तेरी मुरली ने मस्त बनाया नंदलाला
देवकी माँ तो वारे वारे जाइए,
जिस रब जन्मेया बल्हारे माँ दे जाइये,
माँ यशोदा ने गले दे नाल लाया नंदलाला,
तेरी मुरली ने मस्त बनाया नंदलाला
तेरी मुरली ने मस्त बनाया नंदलाला
बूहे विच यार सुदामा कुरलावे,
मेनू मेरा कृष्णा नजर ना आवे,
आजा छेती आजा बड़ा तरसाया नद्लाला,
तेरी मुरली ने मस्त बनाया नंदलाला
देवकी माँ तो वारे वारे जाइए,
जिस रब जन्मेया बल्हारे माँ दे जाइये,
माँ यशोदा ने गले दे नाल लाया नंदलाला,
तेरी मुरली ने मस्त बनाया नंदलाला
इस भजन में श्रीकृष्णजी की बंसी की अलौकिक मोहकता और उनकी अनूठी लीलाओं का गहन चित्रण किया गया है। जब उनकी बंसी की मधुर ध्वनि ब्रज में गूंजती है, तब न केवल ग्वाल-बाल, बल्कि समस्त सृष्टि उस माधुर्य में डूब जाती है।
श्रीकृष्णजी की बंसी केवल एक वाद्ययंत्र नहीं, बल्कि प्रेम और भक्ति का दिव्य संवाद है। यह आत्मा को आकर्षित करती है, मोह को मिटाती है, और केवल उनके चरणों में समर्पित होने की भावना को जागृत करती है। मीरा जैसी भक्तों को यही मधुर ध्वनि अमृत समान प्रतीत होती है, जो उनके हृदय को ईश्वर प्रेम में डुबो देती है।
भजन में उनके बाल लीलाओं का उल्लेख आता है—यमुना तट पर गेंद का खेल, सुदामा की पीड़ा, और माँ यशोदा का वात्सल्य, जो श्रीकृष्णजी के प्रेम और करुणा का सजीव चित्रण करता है। यह अनुभूति बताती है कि उनकी लीला में भक्ति और प्रेम की पराकाष्ठा समाहित है, जहाँ भक्त उनके प्रेम में पूर्ण रूप से विलीन हो जाता है।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं