आज मेरे पिया घर आये भजन

आज मेरे पिया घर आये भजन

चौक पुराओ माटी रंगाओ,
आज मेरे पिया घर आये,
खबर सुनाऊ जो ख़ुशी रे बताऊ जो,
आज मेरे पिया घर आये,

ऐ री सखी मंगल गाओ री,
धरती अम्बर सजाओ री,
उतरेगी आज मेरे पी की सवारी,
आ री कोई काजल लाओ री,
मोहे काला टीका लगाओ री,
उनकी चभ से दीखू मैं तो प्यारी,

लक्ष्मी जी वारो नजर उतारो,
आज मेरे पिया घर आये,

रंगो से रंग मिले नये नये ढंग खिले,
खुशियां आज द्वार मेरे डाले है डेरा,
पीहू पीहू पपीहा रटे,
कुह कुह कोयल जपे,
आंगन आंगन है परियो ने गेरा,
अनहद नाद भजाओ रे सब मिल,
आज मेरे पिया घर आये,
अनहद नाद भजाओ रे सब मिल,

इस भजन में प्रेम और स्वागत का मधुर उत्सव व्यक्त किया गया है। यह भाव दर्शाता है कि जब प्रियतम का आगमन होता है, तब समस्त सृष्टि उल्लास से भर उठती है। यह उत्साह केवल बाहरी नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों से उमड़ने वाला आनंद है। भजन में श्रीकृष्णजी के आगमन का संकेत है—जिसमें भक्त अपनी समस्त तैयारियाँ करता है, चौक पुराता है, धरती और अंबर को सजाता है, और अपनी सखियों के साथ मंगल गीत गाता है। यह अनुभूति बताती है कि जब ईश्वर भक्त के मन-मंदिर में प्रवेश करते हैं, तब उसका जीवन एक उत्सव बन जाता है।

श्रद्धा की यह गहराई दर्शाती है कि जब श्रीकृष्णजी की सवारी उतरती है, तब केवल भक्त ही नहीं, बल्कि समस्त प्रकृति भी उनकी कृपा से सराबोर हो जाती है। कोयल की कुहक, पपीहे का रटन, और द्वार पर फैली खुशियों की आभा उनकी उपस्थिति का संदेश देती है।
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